Tag: शिक्षा

शिक्षा में अनूठे प्रयास करते उत्तराखंड के शिक्षक

शिक्षा में अनूठे प्रयास करते उत्तराखंड के शिक्षक

शिक्षा
मेघा प्रकाश स्वतंत्र पत्रकार एवं पूर्व सलाहकार संपादक, IISc बैंगलोर शिक्षा की कोई सीमा नहीं है, न ही इसे कक्षाओं तक सीमित रखा जा सकता है. पर्वतीय राज्य उत्तराखंड के एक प्राथमिक विद्यालय के शिक्षक ने साबित कर दिया कि स्कूल के परिसर से परे भी सीखना संभव है. अल्मोड़ा जिले के गांव बजेला के एक प्राथमिक विद्यालय में भास्कर जोशी ने ‘ग्वाला क्लास’ की अनूठी पहल की जिससे स्कूल को ड्रॉपआउट की संख्या में सुधार करने में मदद मिली. जोशी कहते हैं, ‘शिक्षा सीखने के बारे में है’. यह विचार मेरे मन में तब आया जब मैं 2013 में बजेला प्राइमरी स्कूल में तैनात था. उस समय स्कूल में 10 छात्र नामांकित थे, लेकिन बहुत कम छात्र कक्षाओं में आते थे. जब मैंने अनुपस्थिति के पीछे का कारण जानने की कोशिश की, तो पता चला कि बहुत से माता-पिता अपने बच्चों को स्कूल भेजने के बजाय उन्हें मवेशी चराने के लिए कहते हैं. यहीं से...
हाईकमान और आलाकमान की राजनीति में ‘कमानविहीन’ हुआ उत्तराखंड

हाईकमान और आलाकमान की राजनीति में ‘कमानविहीन’ हुआ उत्तराखंड

समसामयिक
प्रकाश उप्रेती उत्तराखंड के पहाड़ी इलाके पिछले कुछ दिनों से भयंकर ठंड से ठिठुर रहे हैं वहीं चुनावी तापमान ने देहरादून को गर्म कर रखा है. देहरादून की चुनावी तपिश से पहाड़ के इलाके बहुत प्रभावित तो नहीं होते लेकिन दुर्भाग्य because यह है कि उनके भविष्य का फैसला भी इसी तपिश से होता है. इसलिए ही जब उत्तराखंड के लोग गैरसैंण राजधानी की माँग करते हैं तो उसके पीछे पर्वतीय प्रदेश की संरचना और जरूरतें हैं क्योंकि देहरादून की नज़र तो दिल्ली की तरफ और पीठ पहाड़ की तरफ होती है. दिल्ली ही देहरादून को चलाती है. इसलिए उत्तराखंड के पहाड़ी इलाके अलग उत्तराखंड राज्य के 21 वर्ष पूरे हो जाने के बाद भी स्वास्थ्य, शिक्षा, चिकित्सा, सड़क, जमीन, रोजगार, कृषि, जलसंकट और पलायन जैसी समस्याओं से जूझ रहे हैं. ज्योतिष उत्तराखंड को बने 21 वर्ष हो गए हैं. इन 21 वर्षों में 11 मुख्यमंत्रियों के साथ बीजेपी- कांग्रेस की सरकारे...
रोटी और कोविड आपदा से जूझता आम इंसान

रोटी और कोविड आपदा से जूझता आम इंसान

समसामयिक
भावना मासीवाल आपदा में संपदा बनाना किसी से सीखना हो या विपदा को कैसे अपने हित के अनुरूप काम में लेना हो, इसमें मनुष्य सर्वोपरि प्राणी है. बहुत दूर जाने की जरूरत नहीं है, but आज हम सभी कोविड-19 के जिस भयावह दौर से गुजर रहे हैं जहाँ हर दूसरा व्यक्ति अपने प्राणों की रक्षा के लिए अन्य पर निर्भर है. ऐसे में कहीं ऑक्सीजन सिलेंडर स्टोर हो रहे हैं तो कहीं आई.सी.यू बेड तो कहीं संबंधित दवाएँ. कहीं ऑक्सीजन के ट्रक चोरी हो रहे हैं तो कहीं कोविड की दवाएं, मौजूदा हालात में स्वास्थ्य संबंधित एवं सामान्य जरूरत की चीजों के दाम एका-एक आसमान छूने लगे हैं. कोविड सरकारी तंत्र के पास सुविधाएँ नहीं है और प्राइवेट सेक्टर उसे बाज़ार और पूँजी का हिस्सा बना मुनाफ़ा कमा रहा है. इससे पूर्व भी पिछले वर्ष इसी विपदा से निपटने so और स्वास्थ्य व्यवस्था को दुरुस्त करने के कितने ही आश्वासन और वादे किये गए थे. जिसे उसी...