तिलाड़ी कांड: जब दहाड़ उठी रवाँई घाटी
उत्तराखंड का जलियावाला बाग तिलाड़ी कांड
सकलचन्द रावत
आज रवाँई जौनपुर की नई पीढ़ी के किशोर कल्पना ही नहीं कर सकते कि सन 1930 में रवाँई की तरुणाई को आजादी की राह पर चलने में कितनी बाधाओं का सामना करना पड़ा था। because पौरुष का इतिहास खामोश था, वक्त की वाणी मूक थी, लेखक की कृतियां गुमशुम थी और बेड़ियों से जकड़ी हुई थी।
आजादी
जंगलात अफसर ने अपनी रिवाल्वर से निहत्थे किसानों पर फायर किये जिससे अजितू तथा झून सिंह ग्राम नगांणगांव वाले सदा के लिये सो गये। कई लोग घायल हुये। साथ because ही साथ मजिस्ट्रेट की जांघ पर भी गोली लगी। हत्यारा रतूड़ी भाग खड़ा हुआ। किसानों का दल घायलों सहित मजिस्ट्रेट को लेकर राजतर पहुंचे। गिरफ्तारी के लिये आई हुई पुलिस से जब हत्याकांड की बात सुनी तो भयभीत हो गये और जिन लोगों को गिरफ्तार कर लाये थे उन्हें छोड़ कर भाग गये।
यूसर्क
सन 1930, 17-18 गते ज्येष्ठ। उस दिन दह...