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भारतीय किसान की चुनौतियां सुलझाना जरूरी…

भारतीय किसान की चुनौतियां सुलझाना जरूरी…

समसामयिक
गाँव और शहर के बीच की बढ़ती खाई ने शहर को ही विकास की नीति का केंद्र बना दिया प्रो. गिरीश्वर मिश्र भारत बहुत दिनों से गाँवों की धरती के रूप में पहचाना जाता रहा है. भारत के परम्परागत सामाज के मौलिक प्रतिनिधि के रूप में गाव को लिया गया. so सन सैतालिस में पचासी प्रतिशत भारतवासी गाँवों में रहते थे. खेती-बाड़ी ही आम जन की आजीविका का मुख्य साधन था. तब भारत की राष्ट्रीय आय में 55 प्रतिशत हिस्सा खेती का था. किसान देश की मजबूती की कड़ी था. राष्ट्र के निर्माण में किसान मुख्य था. because असली  भारत का प्रतिनिधि था गाँव. आर्थिक विकास में सत्तर के दशक की हरित क्रांति के आधार पर भारत खाद्यान्न में आत्म निर्भर हुआ था. सात दशक बाद गाव की यह छवि बदल चुकी है. अब भारत तेजी से आगे बढ़ते शहरों और मध्यवर्ग की छवि वाला हो रहा है. भारत गांव या कृषि क्षेत्र एक बेवजह के भार जैसा, पिछड़ेपन, अशिक्षा और गरी...