
भारतीय भाषाओं के लिए विश्वविद्यालय की पहल स्वागत योग्य है
प्रो. गिरीश्वर मिश्र
भारतवर्ष भाषाओं की दृष्टि से एक अत्यंत समृद्ध देश है. यहां की भाषाई विविधता अनोखी है और उनमें अपार संभावनाएं विद्यमान हैं यह उनकी आतंरिक जीवनशक्ति और लोक-जीवन में व्यवहार में प्रयोग ही था कि विदेशी आक्रांताओं द्वारा विविध प्रकार से सतत हानि पहुंचाये जाने के बावजूद भी वे बची रहीं. because पिछली कुछ सदियों इन भाषाओं को सतत संघर्ष करना पड़ा था. मुगल शासन काल में फारसी को महत्व मिला. फिर अंग्रेजों के उपनिवेश के दौर में अंग्रेजी को निर्भ्रान्त प्रश्रय दिया गया और उसे नौकरी चाकरी से जोड़ दिया गया. परन्तु यह भी सत्य है कि स्वतंत्रता संग्राम में लोक संवाद के साथ देश को एक साथ ले चलने में हिन्दी और अन्य भारतीय भाषाओं ने विशेष भूमिका निभाई. so स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद अंग्रेजों के दौर की नीतियों के अनुसरण करते रहने के फलस्वरूप अंग्रेजी का प्रभुत्व जीवन...