Tag: Haridwar Kumbh 2021

हरिद्वार की यात्रा बिना ऋषिकेश जाए पूरी नहीं होती…

हरिद्वार की यात्रा बिना ऋषिकेश जाए पूरी नहीं होती…

ट्रैवलॉग
   डॉ. कायनात काजी फोटोग्राफर, ट्रैवल राइटर और ब्लॉगर, देश की पहली सोलो फिमेल ट्रैवलर   हरिद्वार की यात्रा बिना ऋषिकेश जाए पूरी नहीं होती, आप जब भी हरिद्वार जाएं एक दिन एक्स्ट्रा लेकर जाएं जिससे ऋषिकेश भी घूम आएं. ऋषिकेश हरिद्वार से 25 किमी दूर है. because तीन दिशाओं से पहाड़ियों से घिरा, जिसके बीचों बीच से पावन नदी गंगा बहती है. इसे देवभूमि भी कहते हैं. जहां हरिद्वार लोगों से भरा हुआ लगता है जैसे वहां हमेशा एक मेला लगा हो वहीं ऋषिकेश एक शांत जगह है. हिमालय की चोटियों से निकल कर गंगा मैदानों में यहीं से प्रवेश करती है.यहीं पर लक्ष्मण झूला स्थित है. ऐसी मान्यता है कि यहां श्री लक्ष्मण जी ने कभी जूट की रस्सियों से बने झूले से गंगा नदी को पार किया था. ज्योतिष लक्ष्मण झूला करीब 1929 में बना था. because यह झूला शहर को एक सिरे से दूसरे सिरे तक जोड़ता है. इसकी लम्बाई लगभग 450 फ...
अखबारों में उत्तराखंड: शाही स्नान से पहले कई साधु पॉजिटिव, दर्द से तड़पती महिला का रास्ते में प्रसव

अखबारों में उत्तराखंड: शाही स्नान से पहले कई साधु पॉजिटिव, दर्द से तड़पती महिला का रास्ते में प्रसव

हरिद्वार
हिमांतर ब्‍यूरो, देहरादून शाही स्नान से पहले साधु पॉजिटिव: हरिद्वार (Haridwar Kumbh 2021) में शाही स्नान से पहले अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्रीमहंत नरेंद्र गिरी कोरोना की चपेट में आ गए हैं. वह निरंजनी अखाड़े में आईसोलेट हैं. रविवार को यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भी उनसे मुलाकात की थी. निरंजनी और जूना अखाड़े के छह  संत कोरोना पॉजिटिव हैं. उत्तराखंड में कोरोना के 1333 नए मरीज मिले: सूबे में रविवार को एक दिन में ही कोरोना के 1333 नए मरीज मिले हैं. देहरादून- 582 हरिद्वार- 386 नैनीताल- 122 उधम सिंह नगर- 104 पौड़ी- 49 अल्मोड़ा- 11 बागेश्वर- 8 चमोली-9 कोरोना से रविवार को हुई मौतें- 8 महिला का रास्ते में प्रसव: गोपेश्वर स्थित भानाली गांव में महिला को अस्पताल ले जाने से पहले ही प्रसव कराना पड़ा. 24 साल की मीना देवी को पालकी में बैठाकर जिला अस्पता...
नव वर्ष 2021 हरिद्वार कुम्भ का भी लोकमंगलकारी वर्ष है

नव वर्ष 2021 हरिद्वार कुम्भ का भी लोकमंगलकारी वर्ष है

साहित्‍य-संस्कृति
डॉ. मोहन चंद तिवारी प्रति वर्ष 31 दिसंबर को काल की एक वर्त्तमान पर्याय रात्रि 12 बजे अपने अंत की ओर अग्रसर होती है तो दूसरी पर्याय नए वर्ष के रूप में पदार्पण भी करती है.काल के इसी संक्रमण की वेला को अंग्रेजी केलेंडर के अनुसार नववर्ष का आगमन माना जाता है. इस बार नव वर्ष की संक्रान्ति में आगामी जनवरी के महीने से अप्रैल के महीने तक हरिद्वार कुंभ का भी शुभ संयोग उपस्थित हो रहा है. हालांकि कोरोना संकट के कारण कुम्भ के शाही स्नानों की शुरुआत 11 मार्च से होगी किन्तु कुम्भ स्नान का प्रारम्भ जनवरी महीने के मकर संक्रांति से ही हो जाता है. इसलिए इस नववर्ष 2021 का 'कुम्भ वर्ष' के रूप में भी विशेष महत्त्व है. कुम्भ स्नान देश में नववर्ष  मनाने की विविधता के बावजूद एक समानता यह है कि भारत के लोग सूर्य की संक्रांति और चन्द्रमा के नक्षत्र विज्ञान की शुभ पर्याय को ध्यान में रखते हुए सौरवर्ष और ...