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पहाड़ की अनूठी परंपरा है ‘भिटौली’

पहाड़ की अनूठी परंपरा है ‘भिटौली’

उत्तराखंड हलचल, संस्मरण, साहित्‍य-संस्कृति
दीपशिखा गुसाईं मायके से विशेष रूप से आए उपहारों को ही ‘भिटौली’ कहते हैं। जिसमें नए कपड़े, मां के हाथों  से बने कई तरह के पकवान आदि  शामिल हैं। जिन्हें लेकर भाई अपनी बहिन के घर ले जाकर उसकी कुशल क्षेम पूछता है। एक तरफ से यह त्यौहार भाई और बहिन के असीम प्यार का द्योतक भी है। पहाड़ की अनूठी परंपरा ‘भिटौली’ ‘अब ऋतु रमणी ऐ गे ओ चेत क मेहना,  भटोई की आस लगे आज सोरास बेना...’ यह गीत सुन शायद सभी पहाड़ी बहिनों को अपने मायके की याद स्वतः ही आने लगती है, ‘भिटौली’ मतलब भेंट... कुछ जगह इसे ‘आल्यु’ भी कहते हैं। चैत माह हर एक विवाहिता स्त्री के लिए विशेष होता है। अपने मायके से भाई का इंतजार करती, उससे मिलने की ख़ुशी में बार—बार रास्ते को निहारना... हर दिन अलसुबह उठकर घर की साफ—सफाई कर अपने मायके वालों के इंतजार में गोधूलि तक किसी भी आहट पर बरबस ही उठखड़े होना शायद कोई आया हो। मायके से विशे...