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पहाड़ की संवेदनाओं के कवि कन्हैयालाल डंडरियाल

पहाड़ की संवेदनाओं के कवि कन्हैयालाल डंडरियाल

संस्मरण
पुण्यतिथि (2 जून) पर विशेषचारु तिवारी हमारे कुछ साथी उन दिनों एक अखबार निकाल रहे थे. दिनेश जोशी के संपादन में लक्ष्मीनगर से ‘शैल-स्वर’ नाम से पाक्षिक अखबार निकल रहा था. मैं भी उसमें सहयोग करता था. बल्कि, संपादक के रूप में मेरा ही नाम जाता था. यह 2004 की बात है. हमारे मित्र शिवचरण मुंडेपी कर्इ लोगों से परिचय कराते थे. उन्होंने मेरा परिचय एक ऐसे व्यक्ति से कराया जो गढ़वाली भाषा का चलता-फिरता ज्ञानकोश थे. उनका नाम था- नत्थी प्रसाद सुयाल. सुयाल जी का गढ़वाली भाषा के प्रति समर्पण और श्रद्धा देखने लायक थी. उन्होंने गढ़वाली भाषा के प्रचार-प्रसार के लिये बहुत काम किया. उन दिनों उन्होंने डंडरियाल जी के कविता संग्रह ‘अंज्वाल’ को बड़े मनोयोग से नये कलेवर में प्रकाशित किया था. यह संग्रह भी उन्होंने मुझे दिया. उनकी असमय निधन हो गया था. उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि देते हुये कृतज्ञता प्रकट करता ह...