Tag: बुग्याल

पुरोला—मोरी: भेड़ पालकों का जीवन बीमा करने की मांग!

पुरोला—मोरी: भेड़ पालकों का जीवन बीमा करने की मांग!

उत्तरकाशी
नीरज  उत्तराखंडीभेड़ पहाड़ की  आर्थिकी की रीढ़ है लेकिन उचित  प्रोत्साहन न मिलने से भेड़ -बकरी पालन व्यवसाय  दम तोड़ता  नजर आ रहा है. आधुनिक सुख सविधाओं की ओर दौड़ती युवा पीढ़ी पारम्परिक व्यवसाय भेड़ बकरी पालन से विमुख होती जा रही है. जिसकी एक बडी वजह भेड़ पालकों की सरकारी अनदेखी भी शामिल है. उचित सहयोग प्रोत्साहन न मिले से युवा पीढ़ी इस पुश्तैनी  व्यवसाय  से  मुख मोड़ने लगी है. पहाड़ की जवानी रोटी रोजगार की तलाश  में  मैदान  की खाक छान रही है.आज के युवक भेड़ पालन व्यवसाय पर रुचि नहीं ले रहे हैं. जिससे लगातार भेड़-बकरी व्यवसायियों की संख्या में भारी गिरावट आ रही है. उच्च हिमालय की  सुन्दर घाटियों में समुद्रतल से  3566 मीटर (11700 फीट) की ऊंचाई पर भेड़ पालक बेखौफ मौसम की मार झेल कर  भेड़ बकरी व्यवसाय पालन करते है. प्रतिकूल परिस्थितियों में धूप, बारिश, सर्दी  आसमानी  बिजली  के संकट से...
संस्मरणों, यात्राओं और अनुभवों का पुलिंदा है हिमालय दर्शन

संस्मरणों, यात्राओं और अनुभवों का पुलिंदा है हिमालय दर्शन

पुस्तक-समीक्षा
सुनीता भट्ट पैन्यूली जैसा कि लेखक दिगम्बर दत्त थपलियाल लिखते हैं - “जिस हिमालय की हिम से ढकी चोटियां मेरी अन्तश्चेतना और अनुभुतियों का अविभाज्य अंग बन गयी हैं, जहां एक क्वारी धरती गहरे नीले आकाश के नीचे सतत सौन्दर्य रचना में डूबी रहती है, उसकी विभूति और वैभव को किस प्रकार इन पृष्ठों पर उतारु? मैं चाहता हूं, हर कोई उस ओर चले, पहुंचे और देखे. अनुभव करे कि वहां परिचय की छोटी-छोटी सीमायें टूट जाती हैं. छोटे-छोटे आकाश नीचे,बहुत नीचे छूट जाते हैं और शुरू होती,एक विराट सुन्दर सत्ता. जिसके प्रभाव में हमारी नगण्य अस्मिता अनन्त के छोर छूने लगती है.”ज्योतिष दिगम्बर दत्त की “हिमालय दर्शन” (Himalayas: In the pilgrimage of India)  पर्यटन साहित्य पर लिखा गया एक महत्त्वपूर्ण व शोधपरक दस्तावेज है.  दिगम्बर दत्त because थपलियाल की विद्वता, तथ्यनिष्ठा, व उत्तराखंड के हिमालय की यात्राओं के असंख्य अनु...
राज्य की जैवविविधता, बुग्यालों, राष्ट्रीय पार्कों एवं नदियों का सरंक्षण जरूरी

राज्य की जैवविविधता, बुग्यालों, राष्ट्रीय पार्कों एवं नदियों का सरंक्षण जरूरी

देहरादून
अंतराष्ट्रीय जैव विविधता दिवस, 2021 पर यूसर्क द्वारा ऑनलाइन कार्यक्रम आयोजनहिमांतर ब्यूरो, देहरादूनअंतराष्ट्रीय जैवविविधता दिवस के उपलक्ष्य में उत्तराखण्ड विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान केन्द्र (यूसर्क) (Uttarakhand Science Education & Research Centre) द्वारा because एक ऑनलाइन कार्यक्रम का आयोजन किया गया. कार्यक्रम की समन्वयक यूसर्क की वैज्ञानिक डा. मंजू सुन्दरियाल के द्वारा जैव विविधता दिवस को मनाने के महत्व पर प्रकाश डाला एवं समस्त प्रतिभागियों कास्वागत किया गया.यूसर्क यूसर्क की निदेशक प्रो (डा.) अनीता रावत ने अपने संबोधन द्वारा जैवविविधता के सरंक्षण हेतु शिक्षा, शोध एवं तकनिकी के उपयोग को आवश्यक बताया एवं विद्यार्थियों का योगदान एक सतत because विकास की प्रक्रिया में महत्वपूर्ण हो सकता है. उन्होंने कहा की यूसर्क संस्था पूरे प्रदेश में पर्यावरण सरंक्षण के साथ विज्ञान शिक्ष...
किसानों के लिए वरदान साबित हो सकती है कुटकी

किसानों के लिए वरदान साबित हो सकती है कुटकी

खेती-बाड़ी
बेहद कड़वी, लेकिन जीवनरक्षक है कुटकीजे. पी. मैठाणीमध्य हिमालय क्षेत्र में भारत, पाकिस्तान, नेपाल, भूटान, अफगानिस्तान के हिमालयी क्षेत्रों में बुग्यालों में जमीन पर रेंगने वाली गाढ़े हरे रंग की वनस्पति है कुटकी. उत्तराखण्ड के हिमालयी क्षेत्र जो अधिकतर 2000 मीटर यानी 6600 फीट से ऊपर अवस्थित हैं उन बुग्यालों में कुटकी पायी जाती हैं. इसका वैज्ञानिक नाम पिक्रोराइज़ा कुरूआ है. यह वनस्पति गुच्छे में उगती है और इसकी जड़ें काली भुरभुरी उपजाऊ भूमि में दूब घास की जड़ों की तरह फैलती है. पौधे की ऊँचाई 8 से 10 इंच तक ही होती है. पत्तियां किनारों पर कटी हुई और फूल सफेद-हल्के बैंगनी गुच्छे में लगते हैं. बीज बेहद बारीक होते हैं. इसलिए बीजों का संग्रहण काफी कठिन होता है. बीज बनने पर स्वतः झड़ जाते हैं और उनसे बसंत ऋतु के साथ-साथ नई पौध तैयार हो जाती है. कुटकी को एक बार रोपित कर देने के बाद उसी पौध से कई...
प्रकृति की गोद में बसा हरकीदून, बुग्याल और कई किस्म के फूलों की महक जीत लेती है दिल

प्रकृति की गोद में बसा हरकीदून, बुग्याल और कई किस्म के फूलों की महक जीत लेती है दिल

उत्तराखंड हलचल
शशि मोहन रावत ‘रवांल्‍टा’मानव प्रकृति प्रेमी है. प्रकृति से ही उसे आनंद की अनुभूति होती है. मानव का प्रकृति से प्रेम भी स्वाभाविक ही है, क्योंकि प्रकृति उसकी सभी मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति करती है. इसी प्रकृति ने पर्वतराज हिमालय की गोद में अनेक पर्यटन स्थलों का निर्माण किया है. इन्हीं पर्यटन स्थलों में "हरकीदून" एक अत्यंत रमणीय स्थली है. हरकीदून सीमान्त जनपद उत्तरकाशी का एक पर्यटन स्थल है. जहां प्रतिवर्ष देश-विदेशों से प्रकृति प्रेमी प्रकृति का अनुपम सौंदर्य निहारने के लिए पहुंचते रहते हैं. यह गोविन्दबल्लभ पंत वन्य जीव विहार एवं राष्ट्रीय पार्क के लिए भी प्रसिद्ध है. भोजपत्र, बुरांस व देवदार के सघन वृक्षों के अलावा यहां अमूल्य जीवनदायिनी जड़ी-बूटियां, बुग्याल एवं प्राकृतिक फल-फूल देखे जा सकते हैं.यहां वृक्षों में सर्वाधकि भोजपत्र (बेटुला युटिलिस) तथा खर्सू (क्वेरकस) के वृक...