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“वराहमिहिर के अनुसार भूमिगत शिलाओं से जलान्वेषण”

“वराहमिहिर के अनुसार भूमिगत शिलाओं से जलान्वेषण”

जल-विज्ञान
भारत की जल संस्कृति-18डॉ. मोहन चंद तिवारीआधुनिक भूविज्ञान के अनुसार भूमि के उदर में ऐसी बड़ी बड़ी चट्टानें होती हैं जहां सुस्वादु जल के सरोवर बने होते हैं. केंद्रीय भूजल बोर्ड के आंकड़ों के अनुसार भारतीय प्रायद्वीप का लगभग because 70 प्रतिशत हिस्सा जिन ‘कड़ी चट्टानों’ (Aquifers) से बना है उन चट्टानों के नीचे पानी का विशाल भंडार मौजूद है जिसमें से सालाना 4.23 क.हे.मी. पानी काम में लाया जा सकता है जबकि आज केवल 1 क.हे.मी. ही काम आ रहा है. वराहमिहिर की बृहत्संहिता में इन्हीं भूमिगत जल के खजानों को खोजने के अनेक उपाय बताए गए हैं..बांबी (12मार्च, 2014 को ‘उत्तराखंड संस्कृत अकादमी’, so हरिद्वार द्वारा ‘आई आई टी’ रुडकी में आयोजित विज्ञान से जुड़े छात्रों और जलविज्ञान के अनुसंधानकर्ता विद्वानों के समक्ष मेरे द्वारा दिए गए वक्तव्य ‘प्राचीन भारत में जलविज्ञान‚ जलसंरक्षण और जलप्रबंधन’ से स...