रंग यात्रा भाग—1 महावीर रवांल्टा जीवन में पहली बार कब मुझे रामलीला या पौराणिक नाटक देखने का अवसर मिला होगा, कैसे मुझे उनमें रुचि होने लगी, इस समय यह बता पाना मुश्किल है लेकिन मेरी स्मृति में इतना जरूर दर्ज है कि महरगांव में अपने घर के बरांडे के नीचे ओबरों से बाहर की जगह […]
मनोज इष्टवाल सरूताल : जहां खुले आसमान के नीचे स्नान के लिए एक दिन उतरते हैं यक्ष, गंदर्भ, देवगण, परियां व तारामंडल! ऋग्वेद के कर्मकांड मन्त्र के कन्यादान में लिखा है- “पुष्ठारक्षेत्रे मधुरम्य च वायु, छिदन्ति योगानि वृद्धन्ति आयु” बात लगभग 13 बर्ष पुरानी है. मैं बर्ष तब रवांई घाटी के भ्रमण पर था. बडकोट […]
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