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राजनीति में अदला बदली

राजनीति में अदला बदली

समसामयिक
भाग—2 डॉ. रुद्रेश नारायण मिश्र  राजनीति में परिवर्तन आंतरिक अंतर्विरोध के कारण भी होता है. यह अंतर्विरोध पार्टी विशेष कम होकर व्यक्तिगत रूप में ज्यादा दिखता है, जब एक प्रभावशाली नेता अपनी ही पार्टी से संबंध विच्छेद कर दूसरी पार्टी में शामिल हो जाता है. उस वक्त नेता के समर्थक जितने भी सांसद/विधायक होते हैं, वह भी विरोधी हो जाते हैं. ऐसे में राजनीति की परिवर्तनशील प्रक्रिया चरित्रहीन हो जाता है. जिससे स्थिति अस्थिर हो जाती है और यह अस्थिरता राजनीति के उन सवालों को खड़ा करता है, जिसे देखने की कोशिश कभी संवैधानिक रूप में हुई ही नहीं. इसके कई उदाहरण अलग-अलग राज्यों के राजनीतिक उतार-चढ़ाव में मिल जाता है. इसलिए जिस राजनीति में आत्ममंथन की जरूरत है, कारणों की समीक्षा की जरूरत है, वहां सिर्फ राजनीतिक आलोचनाओं के अलावा कुछ नहीं है. आरोप-प्रत्यारोप के बीच राजनीतिक नैतिकता खत्म होती नजर ...
कैद होते जंगलों के बीच पतरोल का आतंक

कैद होते जंगलों के बीच पतरोल का आतंक

संस्मरण
मेरे हिस्से और पहाड़ के किस्से भाग—33 प्रकाश उप्रेती आज बात- "पतरौ" और जंगलात की. 'पतरौ' का मतलब एक ऐसा व्यक्ति जिसे सरकार ने ग्राम -प्रधान के जरिए हमारे जंगलों की रक्षा के नाम पर तैनात किया हुआ था. रक्षा भी हमसे और वह भी हमारे जंगलों की. धीरे-धीरे हमें पता चला कि रक्षा की आड़ में हमारे जंगलों पर सरकारी कब्जा हो गया. अब सारे जंगलों को पत्थरों की दीवारों से कैद किया जा रहा था. कैद जंगल एकदम "चिड़ियाघर"(कितना विरोधाभाषी नाम है) की तरह लग रहे थे. हमारे घर के बाहर कदम रखते ही जंगल था. अब तक वो हमारा और हम उसके थे. एक दिन 15-20 लोग आए और उन्होंने हमारे 'छन' (गाय-भैंस-बैल बांधने की जगह) के पास से 'खोई' (दीवार) देना शुरू कर दिया. अब वह जंगल, उसी के पत्थरों से कैद हो रहा था. हम नीचे खड़े होकर बस देख रहे थे. तब तक ये बात गाँव में फैल चुकी थी कि सरकार का ऑर्डर आया है- "अब सब जंगों में खोई चीणि...