सियूड़िया मेला :  जहां  देव पश्वा अपने मुंह में डालते हैं लोहे व चांदी के सुये

सियूड़िया मेला :  जहां  देव पश्वा अपने मुंह में डालते हैं लोहे व चांदी के सुये

देव पशवा का मुंह में लोहे वचांदी की छड़ डालना रहता है मेले का मुख्य आकर्षण. रामा गांव में लगता है 12 because गांव का कैलापीर, नरसिंह एवं सियूड़ियादेवता का मेला. हिमाचल के डोडरा का है सियूड़ियादेवता, रामा सिरांई क्षेत्र का सबसे पुराना गांव है रामा.   नीरज उत्तराखंडी, पुरोला  रामा सिरांई पट्टी के 12 गांव  का […]

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 खुशखबरी: रवांई के लाल चंद्रभूषण बिजल्वाण का श्रेष्ठ शिक्षक के लिए चयन

खुशखबरी: रवांई के लाल चंद्रभूषण बिजल्वाण का श्रेष्ठ शिक्षक के लिए चयन

शिक्षक दिवस पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी करेंगे सम्मानित नीरज उत्तराखंडी, पुरोला उत्तरकाशी राजकीय आदर्श उच्च प्राथमिक विद्यालय पुजेली खलाड़ी में प्रधानाध्यापक व गणित-विज्ञान के शिक्षक चंद्रभूषण बिजल्वाण का चयन श्रेष्ठ शिक्षक सम्मान के लिए हुआ है. बिजल्वाण को because यह सम्मान शिक्षक दिवस,5 सितंबर को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी देहरादून में देकर सम्मानित करेंगें. ज्योतिष […]

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 रवांई घाटी यानी अतिथि देवो भव: की समृद्ध परंपरा

रवांई घाटी यानी अतिथि देवो भव: की समृद्ध परंपरा

देवलांग की खुशी में रवांल्टी कवि सम्मलेन हिमांतर ब्यूरो, उत्तरकाशी देवलांग सीमांत उत्तरकाशी के पश्चिमोत्तर रवाँई क्षेत्र का एक प्रमुख व प्रसिद्ध लोकोत्सव है. जिसे लेकर लोकवासियों में खासा उत्साह बना रहता है. उसी उत्साह के साथ इस बार because स्थानीय इष्टदेव रघुनाथ जी की पावन स्थली देवडोखरी में सामाजिक एवं पर्यावरणीय कल्याण समिति (सेवा) […]

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 रवांल्टी के मील का पत्थर हैं महाबीर रवांल्टा

रवांल्टी के मील का पत्थर हैं महाबीर रवांल्टा

नीरज उत्तराखंडी, उत्तरकाशी लब्ध प्रतिष्ठित साहित्यकार महाबीर रवांल्टा को उत्तराखंड शासन द्वारा उत्तराखंड because भाषा संस्थान में बतौर सदस्य नामित किए जाने पर लोक भाषा व भाषा प्रेमियों के दिन बहुरेंगे साहित्य साधकों में इस बात को लेकर जहाँ नई उम्मीद जगी है, वहीं उनके चयन को लेकर सम्पूर्ण क्षेत्र में खुशियों की लहर दौड़ पड़ी है. […]

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 तिलाड़ी कांड: जब यमुना किनारे निहत्थों पर बरसाई गईं गोलियां

तिलाड़ी कांड: जब यमुना किनारे निहत्थों पर बरसाई गईं गोलियां

तिलाड़ी कांड 30 मई पर विशेष सुनीता भट्ट पैन्यूली सीमांत जनपद उत्तरकाशी के रवांई घाटी के बड़कोट नगरपालिका के अन्तर्गत यमुना नदी के तट पर बसा हुआ एक स्थान है तिलाड़ी, जो अपने नैसर्गिक सौंदर्य और सघन वन because संपदा के लिए प्रसिद्ध है किंतु दु:ख कि बात है कि तिलाड़ी अपनी दूसरी वजह से […]

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 उत्तराखंड के लोक और देव परंपरा को समझने के लिए एक ज़रूरी क़िताब

उत्तराखंड के लोक और देव परंपरा को समझने के लिए एक ज़रूरी क़िताब

पुस्तक समीक्षा चरण सिंह केदारखंडी कोटी बनाल (बड़कोट उत्तरकाशी) में 7 जून 1981 को जन्मे दिनेश रावत पेशे से शिक्षक और प्रवृति से यायावर और प्रकृति की पाठशाला के अध्येता हैं जिन्हें because अपनी सांस्कृतिक विरासत से बेहद लगाव है. अंक शास्त्र “रवांई के देवालय एवं देवगाथाएं” नवम्बर 2020 में प्रकाशित लोक संस्कृति पर उनकी […]

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 उत्तराखंड के इतिहास में बड़ी खोज, 1000 साल पुरानी मूर्ति, भगवान शिव के अवतार लकुलीश और पाशुपत धर्म    

उत्तराखंड के इतिहास में बड़ी खोज, 1000 साल पुरानी मूर्ति, भगवान शिव के अवतार लकुलीश और पाशुपत धर्म    

प्रदीप रावत (रवांल्टा)  इतिहास को समझना और जानना बहुत कठिन है. परत दर परत, जितनी भी नई परतों को कुरेदते जाएंगे, हर परत के पीछे एक नई परत निकल आती है. इतिहास का प्रयोग विशेष रूप से दो अर्थों में किया जाता है. एक है प्राचीन या विगत काल की घटनाएं और दूसरा उन घटनाओं […]

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 विलुप्ति के कगार पर पारंपरिक व्‍यंजन अरसे की मिठास

विलुप्ति के कगार पर पारंपरिक व्‍यंजन अरसे की मिठास

आशिता डोभाल अरसे/अरसा पहाड़ में समूण या कलेउ becauseके रूप मे दिया जाने वाला एक पकवान है, जो उत्तराखण्ड में सिर्फ गढ़वाल मण्डल में प्रमुखता से बनता है बल्कि हमसे लगे कुमाऊं, जौनसार—बावर, बंगाण, हिमाचल प्रदेश, नेपाल, तिब्बत कहीं भी अरसा नही बनता है. इसके इतिहास की बात करें तो बहुत ही रूचिपूर्ण इतिहास रहा […]

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 अपनी थाती-माटी से आज भी जुड़े हैं रवांल्‍टे

अपनी थाती-माटी से आज भी जुड़े हैं रवांल्‍टे

अपने पारंपरिक व्‍यंजनों और संस्‍कृति को आज भी संजोए हुए हैं रवांई-जौनपुर एवं जौनसार-बावर के बांशिदे आशिता डोभाल जब आप कहीं भी जाते हैं तो आपको वहां के परिवेश में एक नयापन व अनोखापन देखने को मिलता है और आप में एक अलग तरह की अनुभूति महसूस होती है. जब आप वहां की प्राकृतिक सुंदरता, […]

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 ना जाने कहां खो गई पोई और चुल्लू की महक

ना जाने कहां खो गई पोई और चुल्लू की महक

आशिता डोभाल पहाड़ों में बहुत—सी चीजें हमारे बुजुर्गों ने हमें विरासत के रूप में सौंपी हैं पर आज आधुनिकता की चमक—दमक और भागदौड़ भरी जीवनशैली में हम इन चीजों से कोसों दूर जा चुके हैं. हम अपनी पुराने खान—पान की चीजों को सहेजना और समेटना लगभग भूल ही गए हैं. अपने खान—पान में हमने पुराने […]

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