Tag: मेघदूत

राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय फलक पर ख्याति प्राप्त सांस्कृतिक संस्था ‘पर्वतीय कला केंद्र’ दिल्ली का चुनाव सम्पन्न

राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय फलक पर ख्याति प्राप्त सांस्कृतिक संस्था ‘पर्वतीय कला केंद्र’ दिल्ली का चुनाव सम्पन्न

दिल्ली-एनसीआर
हिमांतर ब्यूरो, नई दिल्ली राष्ट्रीय व वैश्विक फलक पर उत्तराखंड की ख्यातिप्राप्त सांस्कृतिक संस्था 'पर्वतीय कला केंद्र, दिल्ली' का चुनाव 22 दिसंबर 2024 को उत्तराखंड सदन, चाणक्य पुरी  नई दिल्ली में चुनाव अधिकारी हिंदी अकादमी दिल्ली सरकार के पूर्व सचिव डा.हरि सुमन बिष्ट व उत्तराखंड की ख्याति प्राप्त प्रतिनिधि संस्था 'पहाड़' के दिल्ली प्रभारी चंदन डांगी की देख-रेख में सम्पन्न हुआ. 'पर्वतीय कला केंद्र' के अध्यक्ष पद पर सी एम पपनैं, उपाध्यक्ष पद पर क्रमश: चन्द्रा बिष्ट व बबीता पांडे महासचिव चंदन डांगी, सचिव कैलाश पांडे, सह-सचिव क्रमश: लक्ष्मी महतो, के एस बिष्ट व खिलानंद भट्ट, कोषाध्यक्ष दीपक जोशी तथा उप-कोषाध्यक्ष पद पर खुशहाल सिंह रावत चुने गए. कार्यकारिणी सदस्यों में महेंद्र सिंह लटवाल, डॉ.हेमा उनियाल, डॉ.के सी पांडे, नीलम राना, भूपाल सिंह बिष्ट, गोपाल पांडे, भुवन रावत, अनुकम्पा बिष्ट, हर...
श्रावणी : बादल को घिरते देखा है…

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ट्रैवलॉग
मंजू दिल से… भाग-21 मंजू काला मेघों की तासीर परखने की ऋतु है सावन व आंखें यदि उपजने वाले दुःख के कारण अविरल बरसें या प्रसन्नता के कारण झूमकर बरस पड़ें, याद सावन की ही आती है. सावन मिलन का भी विग्रह है और विरह का भी, हम उसे अपने-अपने भाव से पूज सकते हैं. सावन मन की वह भागवत है जिसके आनंद को हमारा मन बांचता है और वह गीतगोविंद है जिसकी हरेक अष्टपदी के हरेक शब्द पर देह का रोम-रोम थिरकता है. सावन की झड़ी में बरसने वाली हर बूंद में नृत्य की पुलक समाई रहती है. ये बरसती नहीं थिरकती है... सच में! वैदिक ऋषि वर्षा के देवता पर्जन्य की पिता के रूप में अभ्यर्थना करता है, वाल्मीकि मेघमाल को ऐसी सीढ़ी कहते हैं जिस पर चढ़कर कुटज और अर्जुन की माला से हम सूर्य का अभिनंदन कर सकते हैं. ‘मृच्छकटिकम्’ में शूद्रक गरजते मेघ, आंधी और कौंधती बिजली को आकाश की डरावनी जम्हाई कहते हैं और भर्तृहरि से लेकर जयदे...