Tag: जल प्रबंधन

सिन्धु सभ्यता के ‘धौलवीरा’ और ‘लोथल’ का जल प्रबंधन

सिन्धु सभ्यता के ‘धौलवीरा’ और ‘लोथल’ का जल प्रबंधन

जल-विज्ञान
भारत की जल संस्कृति-10 डॉ. मोहन चन्द तिवारी धौलवीरा का जल प्रबन्धन सन् 1960 में भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण विभाग ने सिन्धु सभ्यता से सम्बद्ध एक प्राचीन आवासीय बस्ती धौलवीरा का उत्खनन किया तो पता चला कि यह सभ्यता 3000 ई.पू. की एक उन्नत नगर सभ्यता थी. खदिर द्वीप के उत्तर-पश्चिम की ओर वर्तमान गुजरात में स्थित इस प्राचीन नगर का मास्टर प्लान अत्यन्त सुनियोजित था. वैदिक कालीन जलविज्ञान की मान्यताओं के अनुरूप इस नगर में जलप्रबन्धन और जलसंचयन प्रणालियों की व्यवस्था की गई थी. धौलवीरा नगर मनहर और मनसर नामक दो नदियों के मध्य में बसा है. वहां के नागरिकों ने बरसात के मौसम में बढ़े हुए जल का सदुपयोग करने के उद्देश्य से इन बरसाती नदियों के मध्य में एक बड़े बांध का निर्माण किया तथा उस बांध में संचयित जल को ईंटों से बनाई हुई नालियों द्वारा जलाशयों और कुओं तक पहुंचाने की व्यवस्था की. पुरातत्त...
उत्तराखंड के पहाड़ों से शुरू होता है वैदिक जल प्रबंधन व कृषि प्रबन्धन का स्वर्णिम इतिहास

उत्तराखंड के पहाड़ों से शुरू होता है वैदिक जल प्रबंधन व कृषि प्रबन्धन का स्वर्णिम इतिहास

साहित्‍य-संस्कृति
भारत की जल संस्कृति-6 डॉ. मोहन चन्द तिवारी मैंने अपने पिछले लेख में वैदिक जलविज्ञान के प्राचीन इतिहास के बारे में बताया है कि वेदों के मंत्रद्रष्टा ऋषियों में ‘सिन्धुद्वीप’ सबसे पहले जलविज्ञान के आविष्कारक ऋषि हुए हैं, जिन्होंने जल के प्रकृति वैज्ञानिक‚ औषधि वैज्ञानिक, मानसून वैज्ञानिक और कृषिवैज्ञानिक महत्त्व को वैदिक संहिताओं के काल में ही उजागर कर दिया था. इस लेख में उत्तराखंड के पहाड़ों से शुरू हुए वैदिक कालीन कृषिमूलक जलप्रबंधन और ‘वाटर हारवेस्टिंग’ प्रणाली के बारे में जानकारी दी गई है. पहाड़ के बारे में वर्त्तमान में एक मिथ्या भ्रांति फैली हुई है कि “पहाड़ का पानी और पहाड़ की जवानी पहाड़ के काम नहीं आनी.” इसी जुमले से नेता लोग चुनाव भी लड़ते हैं और पहाड़ के घर घर में नल पहुंचाने और यहां के नौजवानों को रोजगार देने का वायदा भी करते हैं. पर उत्तराखंड के पहाड़ों का सच यह है कि जलसंकट दि...