Tag: उत्तराखंड सरकार

उत्तराखंड: आखिर कौन जिम्मेदार है इस आग के लिए…

उत्तराखंड: आखिर कौन जिम्मेदार है इस आग के लिए…

देहरादून
जंगल में उपजी आग अधिकांशतः मानवजनित होती है! सुनीता भट्ट पैन्यूली क्या पहाड़ों पर कभी अब न पकेगा काफल चिड़िया नहीं चखेंगी हिस्सर भूखी रह जायेगी क्या कोयलिया. जंगल जब सुलग रहे हों आओ हम सब जल बन जायें. सड़क जो गांव से शहर को चली आओ उसी सड़क पर चल वापस लौट आयें अपने घर. प्रकृति से हम मांगते हैं हरियाली जल, हवा  हमने स्वयं क्या प्रयास किया सोचिये सोचिये. भारत में वनों के सांस्कृतिक व धार्मिक महत्त्व का आंकलन इसी आधार पर किया जा सकता है कि पेड़ हमारी सभ्यताओं से लेकर आज तक हमारे संस्कारों में पूजे जाते हैं इन्हीं जंगलों के आश्रय स्थल में हमारी सभ्यताओं ने सामाजिक उन्नयन की ओर कूच किया.अथार्त वनों के सानिध्य और मार्गदर्शन में भारतीय सभ्यता और संस्कृति का उद्भव और विकास हुआ है. कहना ग़लत न होगा कि पृथ्वी पर जीवन के लिए जंगलों का विस्तार और उपस्थिति अपरिहार्य है ताकि हमें स्व...
संकट में है आज विश्वमैत्री का प्रतीक हिमालय पुष्प ‘ब्रह्मकमल’

संकट में है आज विश्वमैत्री का प्रतीक हिमालय पुष्प ‘ब्रह्मकमल’

समसामयिक
2 अगस्त विश्वमैत्री दिवस पर विशेष डॉ. मोहन चन्द तिवारी आज 2अगस्त प्रथम रविवार के दिन को अंतरराष्ट्रीय मित्रता दिवस के रूप में मनाया जाता है. इस अवसर पर मैं विश्वमैत्री का संदेश देने वाले संजीवनी तुल्य हिमालय के दुर्लभ पुष्प ‘ब्रह्मकमल’ के सम्बंध में सभी पर्यावरण प्रेमी मित्रों को बताना चाहता हूं कि खलजनों की मित्रता के समान भारतराष्ट्र की अस्मिता का प्रतीक यह उत्तराखंड का राज्यपुष्प 'ब्रह्मकमल’ आज संकट के दौर में है. ‘ब्रह्मकमल’ ऊँचाई वाले क्षेत्रों का एक दुर्लभ पुष्प है जो कि सिर्फ हिमालय,उत्तरी बर्मा और दक्षिण-पश्चिम चीन में पाया जाता है. वनस्पति विज्ञान की दृष्टि से ‘ब्रह्मकमल’ एस्टेरेसी कुल का पौधा है. इसका वैज्ञानिक वानस्पतिक नाम ‘सोसेरिया ओबोवेलाटा’ Saussurea obvallata है.सामान्य तौर पर ‘ब्रह्मकमल’ हिमालय की पहाड़ी ढलानों या 3000-5000 मीटर की ऊँचाई में पाया जाता है. वर्त...