मौलिकता की पहचान

लोकजीवन का चेहरा भी प्रस्तुत कर रहे हैं जगमोहन बंगाणी
- अतुल शर्मा
जगमोहन बंगाणी ने अपनी पहचान बनाई है. जब हम यह कहते हैं तो उसके पीछे पूरा एक संघर्षशील समय सामने आ जाता है. कहां से कला और कलाकार की यात्रा आरम्भ हुई इसके बारे मे जान लेना ज़रुरी है. पहाड़ की ज़मीन से जुड़कर दुनियां को महसूस करने की यात्रा है प्रसिद्ध चित्रकार जगमोहन बंगाणी की. रंगो और शिल्प के साथ सार्वभौमिक मानव मूल्यों के प्रति सचेत है बंगाणी की विलक्षण कला. तो इसे शुरु से ही शुरु करते हैं.
पहाड़
पहाड़ के मनोभावों से मिलते जुलते रंग संयोजन के प्रतिबिंब बंगाणी की चित्रकला मे नजर आते हैं. बने बनाये चौखटों को तोड़ा है और अन्तरंग रचनात्मक यात्रा के प्रतिबद्ध रहे हैं. नये रास्तो की अन्वेषणात्मक खोज और मनो भावों और संघर्ष की अनुभूति देते चेहरे पहाड़ से बहुत करीबी रिश्ता बनाते हैं. बहुत ही शुरुआती चित्रों में रेखाएं,
रंगों और चित्र- संयोजन मे समाहित चेहरों के रंग, मांसल रंगो से अलग रंगो का आना और स्वभाविक लगना एक खास प्रतीक सम्मोहन पैदा करता है. इन चित्रो मे उदास आंखों के बीच संघर्ष और जीने की आस्था लगातार जीवित रहती है. उत्तराखंड और हिमाचल की सीमा से लगे “मौंडा” गांव से बंगाणी की यात्रा शुरू हुई. जगमोहन बंगाणी के चित्रों में गति है. दुख या आवेश के रंग है. इसी तरह रंगो का चयन है. लाल रंग संघर्ष का, हरा रंग निशृछलता का प्रतीक माना जा सकता है.हिंदू
कविता और मंत्रो की उनकी कला
अद्भुत है. क्रिएटिविटी आर्ट गैलरी ने नवंबर 2017 मे उनकी छठी एकल प्रदर्शनी आयोजित हुई और बहुत चर्चा मे रही. उसमे “गायत्री मन्त्र”, “महामृत्युंजय मंत्र” “गुरुवाणी” व “अहमस्मि योधः” आदि नये और मौलिक चित्रों की लम्बी कतार थी. जगमोहन बंगाणी लोकजीवन का चेहरा भी प्रस्तुत कर रहे हैं और आधुनिक प्रयोग भी लगातार कर रहे हैं.
धर्म
कालेज आफ आर्ट ने नए आयाम दिये,
दिल्ली ने विस्तार दिया और इंगलैंड मे बहुत गहराई आई. नये काम देखने और समझने का मौका मिला. कई प्रदर्शनीयां लगी और काम को सराहना मिली, सम्मान मिला. अब जगमोहन बंगाणी का कार्य स्थापित हो गया है. नये प्रयोगों ने अलग पहचान बना ली है.गायत्री
कविता और मंत्रो की उनकी कला अद्भुत है.
क्रिएटिविटी आर्ट गैलरी ने नवंबर 2017 मे उनकी छठी एकल प्रदर्शनी आयोजित हुई और बहुत चर्चा मे रही. उसमे “गायत्री मन्त्र”, “महामृत्युंजय मंत्र” “गुरुवाणी” व “अहमस्मि योधः” आदि नये और मौलिक चित्रों की लम्बी कतार थी. जगमोहन बंगाणी लोकजीवन का चेहरा भी प्रस्तुत कर रहे हैं और आधुनिक प्रयोग भी लगातार कर रहे हैं. बस यह कहूं कि उनके चित्रों में आवाज दिखती है .मंत्र
जगमोहन बंगाणी अपने कोमल शिष्टाचार
और कला के साथ जो कुछ भी करना चाहता है, उसके शांत विश्वास के साथ आसानी से दिख जाता है. अब तक, दुनिया भर में उनके चित्रों की छह एकल और पचास से अधिक समूह प्रदर्शनी आयोजित की जा चुकी हैं. तीस से अधिक राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय कला शिविरों में उनकी हिस्सेदारी है.
एक
गढ़वाल के पहाड़ी क्षेत्रों में चालीस छोटे-छोटे गाँवों का एक क्षेत्र है “बंगाण” और इस चित्रकार का जन्म इसी क्षेत्र के अंतिम गांव ‘मोंडा’ में हुआ. जगमोहन बंगाणी ने एम.ए. (ड्राइंग एंड पेंटिंग)
डी.ए.वी. कॉलेज देहरादून से पढ़ाई की और साथ साथ में एक कलाकार के रूप में वे कई गैर सरकारी संगठनों के साथ जुड़े रहे. 2005 में उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय फैलोशिप प्रोग्राम, न्यूयॉर्क के तहत प्रतिष्ठित फोर्ड फाउंडेशन फैलोशिप प्राप्त की और एम.एफ.ए. (पेंटिंग) के लिए विनचेस्टर स्कूल ऑफ आर्ट, इंग्लैंड चले गए. कई बार सम्मानित किया गया युवक, बंगाणी अपने कोमल शिष्टाचार और कला के साथ जो कुछ भी करना चाहता है, उसके शांत विश्वास के साथ आसानी से दिख जाता है. अब तक, दुनिया भर में उनके चित्रों की छह एकल और पचास से अधिक समूह प्रदर्शनी आयोजित की जा चुकी हैं. तीस से अधिक राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय कला शिविरों में उनकी हिस्सेदारी है.पढ़ें—चित्रकला की आधुनिकता का सफर
अत्यधिक
पुरस्कारों में मुख्य रूप से फोर्ड फाउंडेशन अध्येतावृत्ति – न्यूयोर्क अमेरिका, कनिष्ठ अध्येतावृत्ति – संस्कृति विभाग, भारत सरकार, अनुसंधान छात्रवृत्ति – राष्ट्रीय ललित कला अकादमी नई दिल्ली, उत्तराखंड राज्य चित्रकला पुरस्कार और अखिल भारतीय डिजिटल कला पुरस्कार – आल इंडिया फाइन आर्ट्स एंड क्राफ्ट्स सोसाइटी, नई दिल्ली, और उत्तर क्षेत्र स्वर्ण पदक – प्रफुल्ला आर्ट फाउंडेशन मुंबई आदि शामिल है. उनके चित्रों का संग्रह प्रमुखतया उत्तराखंड सचिवालय देहरादून, राष्ट्रीय ललित कला अकादमी नई दिल्ली, फोर्ड फाउंडेशन नई दिल्ली, मैक्समूलर भवन नई दिल्ली आदि स्थानों में है.
प्रतिष्ठित
जगमोहन का बहुत छोटी उम्र से ही हस्त-लेखन (calligraphy) में बहुत अच्छा हाथ रहा है. जैसा कि वे एक ऐसे क्षेत्र से आते हैं, जहां हाथ से लिखने की कला अभी तक नहीं है. जीवन के आरंभ में वे हस्त-लेखन (calligraphy) पर अपनी विशेषज्ञता को आगे बढ़ाते हुए कई गैर सरकारी संगठनों के अनुरोध पर पोस्टर बना रहे थे.
कॉलेज में, कला के एक ईमानदार छात्र के रूप में शुरुआत करने के बाद, उन्होंने गढ़वाल के स्थानीय लोगों को चित्रित करते हुए पूर्णरूप से यथार्थवादी कल्पना का पालन किया.प्रतिष्ठित
2004- 05 के दौरान वह एक सैनिक के रूप में अपने आप को प्रस्तुत करने वाली इक्कीस चित्रों की एक प्रबलित “सैनिक श्रृंखला” में शानदार कला का प्रदर्शन कर रहे थे.
अपेक्षाकृत गैर-औपचारिक प्रतिनिधित्व की अंतिम पारी ने कोई कदम नहीं बढ़ाया, जब विनचेस्टर में मास्टर्स पाठ्यक्रम के लिए अपनी परियोजना के हिस्से के रूप में उन्होंने अपनी कला के आधार और उद्देश्य के रूप में हस्त-लेखन (Calligraphy) की ओर कदम बढ़ाया.मंत्र
हिंदू धर्म में गायत्री मंत्र एक अत्यधिक प्रतिष्ठित मंत्र है, जो हर मानव अधिनियम के लिए अनुग्रह स्थापित करने के लिए माना जाता है. लेकिन मुख्य रूप से, यह उस
मंत्र की सामग्री नहीं थी जिसने हमारे कलाकार को कला में उसके रूप के रूप में चुनने की पहल की, बल्कि प्रार्थना में इसे एक सौ आठ बार दोहराने के आदर्श ने उसे दृश्य के लिए उपयुक्त आधार के रूप में आकर्षित किया और अपने इंगलैंड प्रवास के दौरान 90 फीट x 10 फीट के कैनवास में गायत्री मंत्र का उपयोग कर अपना अब तक का सबसे बड़ा चित्र उकेर डाला.
ज्यामिति
धार्मिक शास्त्रों में हमेशा जगमोहन ने दिलचस्पी ली थी, विशेष रूप से संस्कृत भाषा को लेकर और इसलिए “गायत्री मंत्र” से बेहतर क्या है कि उन्होंने पेंटिंग के लिए अपना नया दृष्टिकोण अपनाया. हिंदू धर्म में गायत्री मंत्र एक अत्यधिक प्रतिष्ठित मंत्र है, जो हर मानव अधिनियम के लिए अनुग्रह स्थापित करने के लिए माना जाता है.
लेकिन मुख्य रूप से, यह उस मंत्र की सामग्री नहीं थी जिसने हमारे कलाकार को कला में उसके रूप के रूप में चुनने की पहल की, बल्कि प्रार्थना में इसे एक सौ आठ बार दोहराने के आदर्श ने उसे दृश्य के लिए उपयुक्त आधार के रूप में आकर्षित किया और अपने इंगलैंड प्रवास के दौरान 90 फीट x 10 फीट के कैनवास में गायत्री मंत्र का उपयोग कर अपना अब तक का सबसे बड़ा चित्र उकेर डाला.और
जब गायत्री मंत्र संस्कृत भाषा में उनके प्रयासों का मूलमंत्र बना रहा, तब उनके द्वारा हिंदी भाषा में लोकगीतों और कविताओं को भी महत्व प्रदान किया गया था, अपने चित्रों में जगमोहन ने अभी
तक मुख्यतः चार भाषाओं की वर्णमालाओं (संस्कृत, हिंदी, अंग्रेजी और गुरुमुखी) का उपयोग किया है जिसमे आम रोजमर्रा के भाव जो दिन में कई बार आते हैं, जैसे कि ‘सॉरी’ और ‘धन्यवाद’, थे, अंग्रेजी वर्णमाला से लिए गए हैं. शब्दों के चित्र, सुनना और सोचना अवश्य है मुश्किल लगता है पर इस चित्रकार ने अपने चित्रों पर शब्द नहीं बल्कि शब्दों को ही चित्र मैं परिवर्तित कर एक नया प्रयोग करने की कोशिश की को पूर्णतया सफल रही है. किया है.चक्रों
बंगाणी इन पुनरावृत्तियों को विचार
और अभिव्यक्ति के बीच संबंध स्थापित करने में उपयोगी पाता है. रंग की अलग-अलग परतें काम करते हुए गुजरने वाले क्षणों को पकड़ती हैं, जिसमें रंग की प्रत्येक परत उसके मन के वर्तमान क्षण के चौखटे को दर्शाती है.एक
परत पर ऊपर से नीचे की ओर बढ़ते हुए, वह वैकल्पिक रिक्त स्थान का उपयोग करते हुए, शब्दों को मुक्त हाथ से चित्रित करता है, क्योंकि वह नीचे से ऊपर की ओर बढ़ता है. तेल
और ऐक्रेलिक दोनों में अपारदर्शी और पारदर्शी रंगों के उपयोग से भाषा और लिपि को पठनीयता गौण हो जाती है जिससे चित्रकार को वांछित प्रभाव प्राप्त करने में मदद मिलती है, क्योंकि पठनीयता जगमोहन के लिए अभीष्ट उद्देश्य नहीं है. लेकिन यह भी सच है कि वर्तमान के चित्रों में पठनीयता आसानी से देखी जा सकती है. इस संदर्भ में बंगाणी का कहना है कि “मेरे चित्रों की मौलिकता के लिए समय के साथ साथ आकारों, रंग सयोंजनो, पठनीयता, पारदर्शिता व अपारदर्शिता, आदि में प्रयोग करना आवश्यक है.”नेत्रहीन
ज्यामिति और चक्रों का एक नेत्रहीन समृद्ध संयोजन, अक्षरों को अनेक परतों के साथ मिलकर एक रहस्यपूर्ण और पवित्र वातावरण का निर्माण करता है, विशेष रूप से संस्कृत पर आधारित रचनाओं के लिए, कभी कभी कलाकार अपने रंगो को टपकाने की तकनीक के माध्यम से बेहद अच्छे प्रभाव के साथ दर्शक का ध्यान आकर्षित करता है,
रंग पहिया के तरीके से अपने रंगों को नियंत्रित करता है. दूसरी ओर हिंदी और अंग्रेजी भाषाआ में आधारित उनकी कुछ बेहद सराहनीय रचनायें मूल संदेशों को ध्यान में रखती है, लेकिन इसके अलावा, रंगों और माध्यमों के नियंत्रण के लिए इस युवा की पसंद उनकी सबसे मजबूत विशेषताएं हैं, उदाहरण के लिए, वृताकार रचना “गायत्री मंत्र” आसानी से बुद्ध के साथ एक उत्कृष्ट कृति है, अंग्रेजी वर्णमाला को लेकर “डेट ऑफ बर्थ”, “एक्जिट”, “नो पार्किंग”, “सॉन्ग” और “द एंड” आदि चित्र बहुत प्रबल दावेदारी दर्शाते हैं.समृद्ध
“मैं शब्दों और लिपियों के समूहो का
उपयोग करके अमूर्तता की खोज कर रहा हूं”.”मैंं आंतरिक आन्दोलन और जीवन के विचारों का उपयोग करता हूं”. – जगमोहन बंगाणी
संयोजन
ऐसे विविध विषयों पर काम करते हुए जगमोहन अन्य भाषाओं के ग्रंथों का उपयोग करने के लिए तत्पर हैं. यह वास्तव में दिलचस्प होगा कि वह खुद को फ़ारसी/ अरबी लिपि के साथ चुनौती दे, इन दोनों लिपियों में सामान्य रूप से पारंपरिक सुलेख को एक नया आयाम देते हुए. हालांकि दुनिया भर के कलाकारों द्वारा विभिन्न प्रकार की
कलाओं में शब्दों को शामिल करना असामान्य नहीं है, जिनमें हमारी लघु कलाएं, विशेष रूप से जैन लघुचित्र, साथ ही फारसी सुलेख और इतने पर, जगमोहन बंगानी का दृष्टिकोण और तकनीक सभी अपने स्वयं के हैं, वह लगन से विकास करना चाहता है. एक होनहार कलाकार वर्षों से कला में इस युवा व्यक्ति की प्रगति का अनुसरण करना दिलचस्प होगा.जगमोहन बंगाणी
जगमोहन बंगाणी ने पिछले चौदह वर्षो
से जो कार्य किया है वह ध्वनियां शब्दों का आकार लेती हैं और शब्द भाषा और अर्थ में तब तक अधिव्याप्त होते हैं, जब तक यह अपने आप मे एक अनुभव न बन जाए, और भावनाओं का अधिसार न हो जाए. दरअसल चित्रकार ने एक नये प्रयोगों की शुरुआत की है. जिससे नये आविष्कार उनकी कला में हो रहे हैं. “मैं शब्दों और लिपियों के समूहो का उपयोग करके अमूर्तता की खोज कर रहा हूं”. यह है अपनी कला के बारे मे जगमोहन बंगाणी का कहना. वे यह भी कहते हैं “मैंं आंतरिक आन्दोलन और जीवन के विचारों का उपयोग करता हूं”.पहाड़
चित्रकला का विकासक्रम परिस्थितियों
और वातावरण से निर्मित होता है. यही जगमोहन बंगाणी के चित्रो मे भी देखा जा सकता है. पर यहां नये आयाम नये रास्ते बना रहा है. यह समयातीत है. यह कला आज की भी है और आनने वाले समय के लिए भी. यही जगमोहन बंगाणी की पहचान है .(लेखक वरिष्ठ साहित्यकार हैं)
Sudershan Kumar says:
Impressive. Wishing him to scale greater heights.
Quite a role model for the youngsters.