- हिमांतर ब्यूरो, नर्ई दिल्ली
वरिष्ठ कांग्रेसी नेता एवं उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत पर रंजीत रावत के बयान ने पार्टी के भीतर भूचाल खड़ा कर दिया है. कांग्रेस का कहना है कि रंजीत ‘हिमांतर’ से बातचीत में कहा, ‘ये सारे आरोप अनर्गल और निराधार हैं. मैं चौबीस घंटे हरीश रावत के साथ रहता हूं, मैंने कभी उनके गले में 13 मालाएं नहीं देखी. रंजीत रावत ने कहां से देख ली पता नहीं?’ उन्होंने कहा कि रंजीत रावत के ऐसे बयानों से पार्टी को नुकसान हो रहा है.
रावत के हरीश रावत पर चुनाव के लिए तंत्र-मंत्र का सहारा लेने वाले आरोप निराधार हैं. ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी के संयुक्त सचिव हरपाल रावत का कहना है कि रंजीत रावत के आरोपों का पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत से कोई लेना देना नहीं है. उन्होंनेहरीश रावत डरा
हरपाल रावत ने कहा कि ठीक सल्ट उपचुनाव से पहले इस तरह की बयानबाजी के पीछे रंजीत रावत की क्या मंशा है पता नहीं? हरीश रावत के दौरे से पहले इस तरह का बयान भ्रांति
फैलाने वाला है. उन्होंने कहा, हरीश रावत धार्मिक किस्म के व्यक्ति हैं. दोनों टाइम पूजा पाठ करते हैं. एक घंटे की पूजा सुबह और एक घंटे की पूजा शाम को करते हैं. उनका तंत्र-मंत्र से कोई लेना देना नहीं है. वह सभी धर्मों का सम्मान करते हैं. उनके पास कई धर्म के लोग आते हैं और उनको जो देते हैं, उसे वह स्वीकार कर रख लेते हैं.क्या है पूरा मामला?
कांग्रेसी नेता रंजीत रावत का कहना था कि हरीश रावत चुनाव जीतने के लिए तंत्र-मंत्र का सहारा लेते हैं. उनका कहना था, ‘मैंने उनके सहयोगी के तौर पर 35 साल काम किया.
वह जब सूबे के मुख्यमंत्री रहे तब मुझे जो काम सौंपे गए, मैंने उनको पूरा करने का प्रयत्न किया. जहां तक रही बात अलग होने की तो जब मैंने उनको ज्वॉइन किया था, तब के हरीश रावत और आज के हरीश रावत में बहुत फर्क है. तब का हरीश रावत ज़मीनी मुद्दों के लिए आंधी-तूफान से लड़ता था. हवा पानी पर गुजारा करता था. आज का हरीश रावत डरा हुआ, हरीश रावत है. वह इतने डरने लगे थे कि जब सूबे में राष्ट्रपति शासन लगा था, मैं उसी वक्त उनसे अलग होना चाहता था. इसकी वजह उनकी तांत्रिक क्रियाये थी. 13-13 मालाएं गले में पहना. हर जेब में अलग रंग का कपड़ा रखना.. वह ऐसा करने लगे थे.हरीश रावत डरा
रंजीत रावत का कहना था कि हरीश
रावत चुनाव जीतने के लिए कभी सुअर कटवाना और कभी बंदर कटवाने लगे थे. वह श्मशान घाट में जाकर शराब से स्नान करने लगे थे. जो व्यक्ति पूजा की बजाय…कर्म की बजाय.. तंत्र क्रियाओं में लग जाए उसके साथ राजनीति जीवन सुचारू रखना बड़ा मुश्किल काम है.