
गढ़वाल में बद्री-केदार तो कुमाऊं में प्रसिद्ध है छिपला केदार
— दिनेश रावत
भारत भू-भाग का मध्य हिमालय क्षेत्र विभिन्न देवी-देवताओं की दैदीप्यमान शक्ति से दीप्तिमान है। इसी मध्य हिमालय के लिए ‘हिमवन्त’ का वर्णन किया गया है. धार्मिक साहित्य यथा ‘केदारखंड’ (अ.101) में ‘हिमवत्-देश’ कभी केवल केदारदेश को ही माना गया है. हिमवन्त के अंतर्गत अनेक पर्वतों का वर्णन है। जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं— 1 गन्धमादनपर्वत— यह बदरिकाश्रम से संबद्ध गढ़वाल का महा-हिमवन्त है। ‘कैलासपर्वत श्रेष्ठे गन्धमादनपर्वत’ (केदारखण्ड, अ. 60). हरिवंश पुराण के अनुसार यह राजा पुरूरवा और गान्धर्वी उर्वशी का रमण-स्थल माना गया है. तीर्थयात्रा काल के दौरान पांडवों ने यहां प्रवेश किया था, जहां बदरीविशाल तथा नरनारायणाश्रम हैं. 2 शतश्रृंगपर्वत— इसे पांडु की तपस्या स्थली के रूप में जाना जाता है. संतान प्राप्ति की कामना के साथ पांडु ने इसी पर्वत पर कुन्ती व माद्री के साथ तपस्या की थी. जिसके उपरां...