Author: Himantar

हिमालय की धरोहर को समेटने का लघु प्रयास
पर्यावरण संरक्षिका मां दुनागिरि

पर्यावरण संरक्षिका मां दुनागिरि

धर्मस्थल
डॉ. मोहन चंद तिवारी द्रोणाचल पर बास तिहारा, उत्तराखण्ड तुझको अति प्यारा. देवि पूजि पद कमल तुम्हारे! पर्यावरण दिवस भारत में वैष्णव शक्तिपीठ के नाम से दो शक्तिपीठ हैं एक जम्मू कश्मीर स्थित वैष्णो देवी और दूसरा उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल में रानीखेत से 37 किमी की दूरी पर द्वाराहाट स्थित ‘द्रोणगिरि’ because शक्तिपीठ, जिसे स्थानीय भाषा में ‘दुनागिरि’ के नाम से भी जाना जाता है. स्कन्दपुराण के ‘मानसखण्ड’ में वर्णित ‘द्रोणगिरि’ पर्वत के भौगोलिक विवरण से इस तथ्य की पुष्टि होती है कि रामायण के काल में हनुमान संजीवनी बुटी लेने के लिए हिमालय में जिस ‘ओषधिपर्वत’ पर गए थे वह पर्वत कहीं और नहीं बल्कि वर्तमान में उत्तराखंड के अल्मोड़े जिले में स्थित यही ‘द्रोणगिरि’ पर्वत था. पर्यावरण दिवस 'दुनागिरी' शक्तिपीठ द्वाराहाट से 14 किमी की दूरी पर हिमालय की गोद मे बसा अत्यंत सुन्दर,शान्त और दिव्य ऊर्जाओं से स...
हिल-मेल फाउंडेशन की ‘ससम्मान राहत सेवा’ को सीएम तीरथ ने दिखाई हरी झंडी

हिल-मेल फाउंडेशन की ‘ससम्मान राहत सेवा’ को सीएम तीरथ ने दिखाई हरी झंडी

देहरादून
पौड़ी, बागेश्वर भेजा गया राशन, सैनिटाइजर, मास्क और पीपीई किटहिमांतर ब्यूरो, देहरादूनसेवा परमो धर्मः के उद्देश्य से उत्तराखंड में कोरोना संक्रमण काल में गरीब लोगों तक राहत पहुंचाने के मिशन में जुटे हिल-मेल फाउंडेशन की ‘ससम्मान राहत सेवा’ को मुख्यमंत्री because तीरथ सिंह रावत ने देहरादून में हरी झंडी दिखाकर रवाना किया. गढ़वाल और कुमाऊं के लिए इस राहत सेवा के माध्यम  325 राशन किट,  कई लीटर सैनिटाइजर, 120 पीपीई किट और 1600 मास्क भेजे जा रहे हैं. दिल्ली से भी राशन के 100 किट्स पौड़ी पहुंच रही हैं. ज्योतिषमुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने राशन सामग्री में दिए जा रहे सामान की जानकारी लेते हुए कहा कि कोरोना संक्रमण के इस दौर में सामाजिक संगठनों की भूमिका अहम रही है.because हिल-मेल फाउंडेशन का यह प्रयास सराहनीय है. वह लगातार लोगों को मदद पहुंचा रहा है. मुख्यमंत्री तीरथ सिंह ने हिल-मेल फ...
एस एस्पायर सोसायटी में लगा कोविड-19 वैक्सीन कैंप, निवासियों ने लगाई वैक्सीन

एस एस्पायर सोसायटी में लगा कोविड-19 वैक्सीन कैंप, निवासियों ने लगाई वैक्सीन

देश—विदेश
नोएडा एक्सटेंशन स्थित एस एस्पायर एओए की तरफ से सोमवार को सोसायटी निवासियों के लिए कोविड-19 वैक्सीनेशन कैंप का आयोजन कराया गया। एओए अध्यक्ष गुरुदास ने बताया कि सोसायटी निवासियों के लिए शारदा अस्पताल के संयोजन से कोविड-19 वैक्सीन कैंप लगाया गया, जिसमें सोसायटी के बुजुर्ग और महिलाओं सहित 100 से ज्यादा लोगों ने वैक्सीन लगाई।उन्होंने कहा कि सोसायटी के कई निवासी चाहते थे कि सोसायटी के भीतर ही वैक्सीनेशन कैंप का आयोजन हो ताकि कोरोना के इस काल में वैक्सीन के लिए बाहर न जाने पड़ा। ऐसे में सोसायटी निवासियों की सहूलियत को देखते हुए एओए की तरफ से वैक्सीनेशन कैंप का आयोजन कराया गया। वैक्सीनेशन कैंप के जरिए सोसायटी की महिलाओं और बुजुर्गों ने वैक्सीन लगाई। कई सोसायटी निवासियों ने अपने यहां आने वाली मेड्स को भी वैक्सीन लगाई।वैक्सीन लगाने वालों में सबसे ज्यादा तादाद महिलाओं और बुजुर्गों की थी। ...
हिंदोस्ता की सामुद्रिक विरासत (मैसोपोटामिया टू मुजरिस ) 

हिंदोस्ता की सामुद्रिक विरासत (मैसोपोटामिया टू मुजरिस ) 

इतिहास, ट्रैवलॉग
मंजू दिल से… भाग-15मंजू कालासदियों से समंद हिंदुस्तान की जन-आस्थाओं के साथ पूरे परिवेश के साथ जुड़े रहे हैं. समंदर का भारतीय सभ्यता, संस्कृति, धर्म और अर्थ के क्षेत्र में विशेष स्थान रहा है. because रत्नाकर के रूप में सागर भारत भूमि को अनादिकाल से धन-धान्य से समृद्ध करते रहे हैं. सभ्यता के प्रारम्भ से लेकर आज तक भारत की जनसंख्या का एक बड़ा भाग अपने जीवन निर्वाह के लिये पूरी तरह से समुद्रों पर ही आश्रित रहा है. आर्थिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिये हमने हर प्रकार से समुद्र का आशीर्वाद लिया है. मनुष्य मेरा मानना है कि समुद्र मंथन से प्राप्त रत्नों के कारण ही हमें विश्व की सबसे प्राचीन सभ्यता होने का गौरव प्राप्त हुआ. सदियों से हमारे पर्यावरण की रक्षा भी इन्हीं से होती रही है. because लेकिन, खेद के साथ लिखना चाहती हूँ कि हम सब समुद्र तट पर बैठ कर धरती की रेती को अपनी आभा से निहाल ...
रवांल्टी के मील का पत्थर हैं महाबीर रवांल्टा

रवांल्टी के मील का पत्थर हैं महाबीर रवांल्टा

उत्तरकाशी
नीरज उत्तराखंडी, उत्तरकाशीलब्ध प्रतिष्ठित साहित्यकार महाबीर रवांल्टा को उत्तराखंड शासन द्वारा उत्तराखंड because भाषा संस्थान में बतौर सदस्य नामित किए जाने पर लोक भाषा व भाषा प्रेमियों के दिन बहुरेंगे साहित्य साधकों में इस बात को लेकर जहाँ नई उम्मीद जगी है, वहीं उनके चयन को लेकर सम्पूर्ण क्षेत्र में खुशियों की लहर दौड़ पड़ी है.बढ़ेगी बताते चलें प्रदेश सरकार द्वारा हाल ही में उत्तराखंड भाषा संस्थान (ULI) सभा का गठन किया गया. जिसे प्रदेश की ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण में स्थापित किया जायेगा. संस्थान के because अध्यक्ष मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत तथा कार्यकारी अध्यक्ष प्रदेश के भाषा मंत्री यतीश्वरानंद होंगे. संस्थान के सदस्यों में हिंदी, उर्दू, पंजाबी एवं लोक भाषा के 12 विख्यात भाषाविद व साहित्यकारों को नामित किया गया है.बढ़ेगी शासन द्वारा भाषा संस्थान हेतु लोकभाषा के अंतर्गत जि...
कैसा रहेगा आपके लिए यह सप्‍ताह जानिए

कैसा रहेगा आपके लिए यह सप्‍ताह जानिए

साप्ताहिक राशिफल
अंक ज्योतिष साप्ताहिक राशिफल 7 से 14 जून, 2021 कैसे जानें अपना मुख्य अंक (मूलांक) अंक ज्योतिष साप्ताहिक राशिफल समझने के लिए सबसे पहले आपको आपना अंक ज्योतिष मूलांक जानना होगा. मूलांक व्यक्ति के जीवन का महत्वपूर्ण अंक है. जातक का जन्म महीने की जिस भी तारीख को होता है, उस अंक को इकाई में बदलने पर जो भी अंक बनता है, वो जातक का मूलांक होता है. मूलांक 1 से 9 अंक तक होता है, उदाहरण – जातक का जन्म महीने की 11 तारीख को हुआ है, तो आपका मूलांक 1 + 1 यानी 2 होगा. इसी तरह किसी भी महीने की 1 तारीख से लेकर 31 तारीख तक जन्मे लोगों का 1 से 9 के बीच मूलांक होता है. ज्योतिष अंक ज्योतिष का मानव जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ता है, क्योंकि सभी अंकों का व्यक्ति के जन्म की तारीख से सीधा संबंध है. जैसा कि हमने इस लेख में नीचे, कि हर व्यक्ति की जन्म तिथि के हिसाब से उसका मुख्य अंक तय होता है और यह 1 से 9 तक के अंक अ...
लोक कलाकार सीना दा अनंत यात्रा पर…

लोक कलाकार सीना दा अनंत यात्रा पर…

स्मृति-शेष
इन्द्र सिंह नेगी देश के विभिन्न भागों में अपने ढोल वादन की विशेष छाप छोड़ने वाले कालसी विकासखंड के गास्की गांव निवासी सत्तर वर्षीय सीना दा आज अनंत यात्रा पर चल लिए ......वो पिछले छ: because माह से टीबी व पेट के इन्फेक्शन से जूझ रहे थे तथा उनका इलाज एम्स ऋषिकेश से चल रहा था. विगत में हरिद्वार में हुए नमो नाद कार्यक्रम में उन्हे "गुरू" की उपाधि से विभूषित किया गया था.अंक शास्त्र सीना दा राज्य के उन गिने-चुने ढोल because वादन के विशेषज्ञों में सम्मिलित थे जिन्हे इस विधा की बारीक समझ थी, वो अपनी कला से लोगों का मन मोह लेते थे. नौबत, बधाई, धार्मिक अनुष्ठान, पंडवाणी, झैन्ता, रासो वादन आदि से लेकर लोक गायन तक में उन्हे महारत हासिल थी.अंक शास्त्र हमारी लोक विरासत के ये जानकर धीरे-धीरे अनंत यात्रा पर निकलते जा रहे और उनके साथ उनकी लोक कलायें भी समाप्त होती जा रही है, हमारी सरकारों के एजें...
अजनबी

अजनबी

किस्से-कहानियां
ललित फुलारा जो सच है उसे छिपाना क्यों? मैं स्वछंद हूं. जो मन में आता है, बिना किसी के परवाह के करती हूं. उसने भी मुझे इसी रूप में स्वीकारा था. हाथ पकड़ कहा था, ‘जो बित गया, उससे मुझे कोई लेना नहीं.‘ मैं  फिर भी नहीं मानी थी. जानती थी पुरुष के कहने और करने में बहुत फर्क होता है. वो जिद्दी था. पूरे पांच साल इंतजार करता रहा. जब हम करीब आए, मैंने ऐसे बंधन की कल्पना नहीं की थी. वह मेरा दोस्त और लाल-पीले-नीले रंगों से भरी डायरी के पन्नों का राजदार था. छोटी-छोटी ख्वाहिशों, फरमाइशों से लेकर प्यार और चाहत हर चीज़ से वाकीफ. शादी के बाद क्या औरत की चाहत खत्म हो जाती है? वह तकिए को छाती से लगाकर किसी के ख्वाब नहीं समेट सकती. किसी का साथ, हाथों का स्पर्श और बातें उसे नहीं भा सकती. समझौतों से दबी, सारी चाहत दफ्न कर देती है एक औरत और वह मर्द कभी नहीं समझता जो ख्वाबों तक ले जाने का दंब भरता है.सपने...
धरती हमारी माँ है हम उसके बेटे, इस रिश्ते की समझ ही पर्यावरण को सरंक्षित कर सकती है: प्रो. नेगी

धरती हमारी माँ है हम उसके बेटे, इस रिश्ते की समझ ही पर्यावरण को सरंक्षित कर सकती है: प्रो. नेगी

पर्यावरण
डॉ. राकेश रयालविश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर उत्तराखंड मुक्तविश्वविद्यालय मुख्यालय हल्द्वानी में विश्वविद्यालय के पर्यावरण एवं भू विज्ञान स्कूल की ओर से 'पारस्थितिकी और उसका पुनरुत्थान' विषय पर एक ऑनलाइन संगोष्ठी आयोजित की गई. संगोष्ठी से पूर्व विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. ओ. पी. एस. नेगी, कुलसचिव प्रो. एच एस नयाल, अन्य प्रोफ़ेसरों व because अधिकारियों द्वारा वृक्षारोपण किया गया, जिसमे लगभग 25 विभिन्न प्रजातियों के पौधे शामिल थे. विश्वविद्यालय प्रत्येक वर्ष इस दिवस पर वृक्षारोपण एवं पर्यावरण सरंक्षण को लेकर एक राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित करता है.अंक शास्त्र वृक्षारोपण के पश्चात ऑनलाईन संगोष्ठी (वेबिनार) की शुरूआत की गई, जिसकी अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. ओ. पी. एस. नेगी ने की. मुख्यातिथि के रूप में because चंद्रशेखर आजाद कृषि विश्वविद्यालय कानपुर के कुलपति प्रो. डीआर सिंह...
प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा ही राष्ट्रवाद और सनातन धर्म का मूल विचार है

प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा ही राष्ट्रवाद और सनातन धर्म का मूल विचार है

पर्यावरण
विश्व पर्यावरण दिवस 5 जून पर विशेषडॉ. मोहन चंद तिवारी 5 जून को हर साल ‘विश्व पर्यावरण दिवस’ के रूप में मनाया जाता है. पर्यावरण प्रदूषण की समस्या पर संयुक्त राष्ट्र संघ की ओर से स्वीडन स्थित स्टॉकहोम में विश्व भर के देशों का पहला पर्यावरण सम्मेलन 5 जून, सन् 1972 को आयोजित किया गया था,जिसमें 119 देशों ने भाग लिया और पहली बार एक ही पृथ्वी के because सिद्धान्त को वैश्विक धरातल पर मान्यता मिली.इसी सम्मेलन में ‘संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम' (यूएनईपी) का भी जन्म हुआ. तब से लेकर प्रति वर्ष 5 जून को भारत में भी ‘विश्व पर्यावरण दिवस’ के रूप में मनाया जाता है.प्रदूषण एवं पर्यावरण की समस्याओं के प्रति आम जनता के मध्य जागरूकता पैदा करना इस पर्यावरण दिवस का मुख्य प्रयोजन है.पर चिन्ता की बात है कि अब ‘पर्यावरण दिवस’ का आयोजन भारत के संदर्भ में महज एक रस्म अदायगी बन कर रह गया है.पर्यावरण दि...