– प्रेम पंचोली केसर का नाम सुनते ही लगता है बात जम्मू-कश्मीर की हो रही है. अपने देश में केसर की खेती सिर्फ जम्मू-कश्मीर में होती है. लेकिन अब लोगों ने नए—नए प्रयोग (अनुसंधान) करके केसर को अपने गमलों तक ला दिया. हालांकि गमलों में यह प्रयोग सफल तो नहीं हुआ, मगर केसर की खेती […]
(गुरु पद्मसंभव की तिब्बत यात्रा से पूर्ण मध्य एशियाई बौद्ध समाज में कई मत-मतांतरों का जन्म हो चुका था. ह्वेनसांग मूलत: चीन के तांग राजवंश का बौद्ध धर्म गुरु था. चीन में तब महायान और हीनयान दो मुख्य बौद्ध धाराएं थीं. जीवन शाश्वत है या नहीं, इस विषय पर इन दोनों में गहरा मतभेद था. […]
— दिनेश रावत भारत भू-भाग का मध्य हिमालय क्षेत्र विभिन्न देवी-देवताओं की दैदीप्यमान शक्ति से दीप्तिमान है। इसी मध्य हिमालय के लिए ‘हिमवन्त’ का वर्णन किया गया है. धार्मिक साहित्य यथा ‘केदारखंड’ (अ.101) में ‘हिमवत्-देश’ कभी केवल केदारदेश को ही माना गया है. हिमवन्त के अंतर्गत अनेक पर्वतों का वर्णन है। जिनमें से कुछ इस […]
— शशि मोहन रवांल्टा नरेश भाई! रवांई का मान—सम्मान बढ़ाने के लिए आपको हार्दिक बधाई। 26 जनवरी के दिन उत्तरखंड के मुखिया के हाथों आपको ‘देव भूमि रत्न’ सम्मान मिलने पर बहुत ही प्रसन्नता हुई। साथ ही उत्तराखंड पत्रकार यूनियन का हार्दिक आभार जिनके द्वारा यह आयोजन आयोजित किया गया और आपका चयन इस सम्मान […]
– दिनेश रावत उत्तराखंड का रवांई क्षेत्र अपने सांस्कृतिक वैशिष्टय के लिए सदैव विख्यात रहा है. लोकपर्व, त्योहार, उत्सव, मेले, थोले यहां की संस्कृति सम्पदा के अभिन्न अंग कहे जा सकते हैं. कठिन दैनिकचर्या की चक्की में पीसता मानव इन्हीं अवसरों पर अपने आमोद-प्रमोद, मनरंजन, मेल-मिलाप हेतु वक्त चुराकर न केवल शारीरिक, मानसिक थकान मिटाकर […]
— दिनेश रावत देवभूमि उत्तराखंड के दिव्यधाम सदियों के लोगों के आस्था एवं विश्वास के केन्द्र रहे हैं. सांसारिक मोह-माया में फंसा व्यक्ति, आत्मीकशांति की राह तलाशते हुए अन्ततः इसी क्षेत्र का रूख करता है. कारण पंचब्रदी, पंचकेदार, पंचप्रयाग तथा अनेकानेक देवी-देवताओं के दैवत्व से दैदीप्यमान, ऋषि-मुनियों के तपोबल से तरंगित, पांडवों के पराक्रम को […]
दिनेश सिंह रावत लोक मान्यतानुसार कौंल देवता का संबंध केदारनाथ से है. इन्हें त्रिजुगी नारायण का अवतार माना जाता है और इसी के चलते हर बारहवें वर्ष कौंल देवता से केदारनाथ की यात्रा करवाई जाती है। सालरा के अतिरिक्त आराकोट, बरनाली तथा धारा में भी कौंल देवता का प्राचीन मन्दिर अवस्थित हैं. देवभूमि उत्तराखण्ड […]
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