- डॉ. राकेश रयाल
विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर उत्तराखंड मुक्तविश्वविद्यालय मुख्यालय हल्द्वानी में विश्वविद्यालय के पर्यावरण एवं भू विज्ञान स्कूल की ओर से ‘पारस्थितिकी और उसका पुनरुत्थान’ विषय पर एक ऑनलाइन संगोष्ठी आयोजित की गई. संगोष्ठी से पूर्व विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. ओ. पी. एस. नेगी, कुलसचिव प्रो. एच एस नयाल, अन्य प्रोफ़ेसरों व
अधिकारियों द्वारा वृक्षारोपण किया गया, जिसमे लगभग 25 विभिन्न प्रजातियों के पौधे शामिल थे. विश्वविद्यालय प्रत्येक वर्ष इस दिवस पर वृक्षारोपण एवं पर्यावरण सरंक्षण को लेकर एक राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित करता है.अंक शास्त्र
वृक्षारोपण के पश्चात ऑनलाईन संगोष्ठी (वेबिनार) की शुरूआत की गई, जिसकी अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. ओ. पी. एस. नेगी ने की. मुख्यातिथि के रूप में
चंद्रशेखर आजाद कृषि विश्वविद्यालय कानपुर के कुलपति प्रो. डीआर सिंह मौजूद रहे. मुख्यवक्ता जी वी पन्त कृषि विश्वविद्यालय पंतनगर की प्रो. उमा मेलकानिया तथा विशिष्ट वक्ता केंद्रीय विश्वविद्यालय हरियाणा के प्रो. दीपक पन्त शामिल हुए.अंक शास्त्र
मुख्यथिति के तौर पर चंद्रशेखर आजाद कृषि विश्वविद्यालय कानपुर के कुलपति डॉ. डी. आर. सिंह ने कहा कि हमे पर्यावरण से जुड़े जितने घटक या आयाम हैं उनका संरक्षण करना होगा, पर्यावरण सरंक्षण को लेकर जिस तरह से भारत सरकार लगातार कई कदम उठा रही है हमे भी सरकार के साथ कदम से कदम मिलाकर
आगे बढ़कर इसमे अपनी भूमिका निभानी होगी. उन्होंने कहा सरकार सौर ऊर्जा, वायु ऊर्जा, बायो फ्यूल के क्षेत्र में काफी काम कर रही है साथ ही हर घर में रसोई गैस उपलब्ध करवा रही है जिससे, वायु चूल्हा जलाने के लिए लकड़ियों का कटान न हो और साथ ही वायु प्रदूषण भी रुक सके. उन्होंने कहा कि हर व्यक्ति को इन सभी अभियानों में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेना होगा तभी पर्यावरण संरक्षण में हम सफल होंगे.अंक शास्त्र
मुख्यवक्ता प्रो.उमा मेलकानिया ने जैवविविधता के प्रबंधन पर अपना ब्याख्यान दिया, उन्होंने कहा कि पारिस्थिकी तंत्र के संरक्षण व पुनरुत्थान में जैवविविधता प्रबंधन की
अहम भूमिका है, जिस ओर हमे विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है. उन्होंने जैवविविधता के विभिन्न घटकों पर विस्तृत जानकारी दी. हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय से वक्ता के तौर पर शामिल प्रो. दीपक पन्त ने कहा कि आधुनिक युग में विकास और वैज्ञानिक प्रयोगों को रोकने से ही पर्यावरण का सरंक्षण नहीं किया जा सकता है, आवश्यकता है तो वैज्ञानिक प्रयोगों के साथ साथ प्राकृतिक संसाधनों के प्रवंधन की.अंक शास्त्र
गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए प्रो. ओ. पी. एस. नेगी ने कहा कि हमारे शाश्त्रों में धरती को माँ का दर्जा दिया गया है और हमें पुत्र का दर्जा, हमे माँ समझ कर ही इसके साथ बर्ताव करना चाहिए, वह हमेशा हमें सम्भलने का अवसर देती है क्योंकि बेटा कुपूत हो सकता है लेकिन माता कुमाता नहीं. उन्होंने कहा कि
यदि हम पर्यावरण दिवस पर पौधे लगाते हैं तो उससे बड़ी जिम्मेदारी है उसे संरक्षण देकर बड़ा और हराभरा रखना, तभी हमारे इस दिवस का उद्देश्य पूर्ण होगा. गोष्ठी की रूपरेखा पर्यावरण एवं भू विज्ञान विद्याशाखा के निदेशक और संगोष्ठी के संयोजक प्रो. पी. डी. पन्त ने रखी. संचालन पर्यावरण विज्ञान के समन्वयकडॉ. हरीश जोशी ने किया. संगोष्ठी में लगभग 140 प्रतिभागियों ने भाग लिया.(डॉ. राकेश रयाल, एसोसिएट प्रोफेसर, पत्रकारिता विभाग, उत्तराखंड ओपन यूनिवर्सिटी, हल्द्वानी, नैनीताल हैं)