
वर्ष 1999 चिकित्सा के छेत्र में सबसे कम आयु में पद्मश्री से अलंकृत किए थे, आयुर्वेद में रस शास्त्र आधारित चिकित्सा करने के लिए विख्यात
नई शिक्षा नीति के तहत विकसित देशों की तर्ज़ पर विश्वविद्यालय आयोग द्वारा केंद्रीय विष्वविद्यालयों और उच्च शिक्षण संस्थानों में प्रोफेसर ऑफ़ प्रैक्टिस नियम के अंतर्गत अनुभवी पेशेवर लोगो की नियुक्ति का आदेश पारित किया गया है. प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस’ वह लोग हैं जो प्रारंभिक व्यवसाय से शिक्षक नहीं है और न ही उन्होंने शिक्षण के लिए पीएचडी की है. बावजूद इसके उनके प्रोफेशनल अनुभव के आधार पर उन्हें कॉलेजों में छात्रों को पढ़ाने के लिए नियुक्त किया जा सकता है. यह प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस छात्रों को वह विषय पढ़ाएंगे जिसमें उनका लंबा प्रोफेशनल अनुभव है. हालांकि इस योजना के तहत विभिन्न कार्य क्षेत्रों से आने वाले प्रोफेशनल को कम से कम 15 वर्षों का अनुभव होना चाहिए.
इसी क्रम में वर्तमान में उत्तराखंड के गदरपुर देहात और उत्तर प्रदेश के बिलासपुर देहात इलाक़े में आयुर्वेदिक विशिष्ट चिकित्सा केंद्र और रस शाला स्थापित करने वाले विश्व विख्यात अनेको सम्मानित के साथ पदमश्री से सम्मानित वैद्य बालेन्दु प्रकाश को उत्तराखण्ड राज्य में देहरादून स्तिथ यू पी ए एस संस्थान में आयुर्वेद के पारंपरिक ज्ञान को आधुनिक विज्ञान से समन्वय और नूतन आविष्कार करने के लिए प्रोफेसर ऑफ़ प्रैक्टिस के पद पर नियुक्त किया गया है.
उत्तराखंड राज्य विधानमंडल के यूपीईएस अधिनियम, 2003 के माध्यम से स्थापित, यूपीईएस भारत में एक शीर्ष रैंक वाला, यूजीसी-मान्यता प्राप्त, निजी विश्वविद्यालय है. राष्ट्रीय संस्थागत रैंकिंग फ्रेमवर्क (एनआईआरएफ) 2023 के अनुसार, शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार, यूपीईएस को सभी विश्वविद्यालयों में 52 वें स्थान पर रखा गया है, जिसमें इंजीनियरिंग में 54 रैंक और प्रबंधन में 39 रैंक (संबंधित स्कूलों के लिए) है. इसके अलावा, विश्वविद्यालय को क्यूएस वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग 2024 द्वारा भारत में अकादमिक प्रतिष्ठा में नंबर 1 निजी विश्वविद्यालय का दर्जा दिया गया है और यह दुनिया के शीर्ष 3% विश्वविद्यालयों में से एक है. यूपीईएस को एनएएसी द्वारा ग्रेड ‘ए’ के साथ भी मान्यता प्राप्त है और विश्व स्तर पर प्रशंसित क्यूएस रेटिंग द्वारा रोजगार (प्लेसमेंट) पर 5 सितारे प्राप्त हुए हैं
यू पी ए एस ने वैद्य बालेन्दु आयुर्वेद के साथ उनकी पुत्री वैद्य शिखा प्रकाश को भी संस्थान में सहायक प्रोफेसर पद पर नियुक्ति दी है. आयुर्वेद और आधुनिक विज्ञान में सामंजस्य करने की यह विश्व में अनूठी पहल है.
यू पी ए एस के कुलपति डॉ राम शर्मा द्वारा जारी किए गए इस नियुक्ति पत्र में अपेक्षा की गई है कि वैद्य बालेन्दु द्वारा विद्यार्थियों के साथ शिक्षको के भी सर्वांगीण विकास के लिए समय समय पर विभिन्न प्रोग्राम आयोजित किए जाएँगे. जिससे छात्रो में अनुसंधान और रोज़गार परक विशेषताओ के साथ नई औषधियो को विकसित करने में कुशलता प्राप्त हो सकेगी.
पूर्व में यू पी ए एस के वरिष्ठ वैज्ञानिकों के एक दल में वैद्य बालेन्दु प्रकाश द्वारा रूद्रपुर बिलासपुर में स्थपित विशिष्ठ अयुर्वेदिक चिकित्सा केंद्र और रस शाला का भ्रमण कर घातक और जानलेवा रोग पैनक्रियटाइटिस से पीड़ित रोगियों से मुलाक़ात और उससे संबंधित चिकित्सीय आँकड़ो तथा वर्षों में तैयार होने वाली औषधियों के निर्माण विधि का अध्ययन किया गया था. यू पी ई एस ने पैनक्रियटाइटिस रोग के इलाज में इस्तेमाल की जाने वाली औषधि के वैज्ञानिक विकास के लिए वैद्य बालेन्दु के साथ एक करार भी किया है. उल्लेखनीय है कि अभी हाल ही में भारत सरकार ने पैनक्रियटाइटिस के इलाज के लिए विकसित आयुर्वेदिक औषधि को पेटेंट से भी नवाज़ा है.
यू पी ए एस ने वैद्य बालेन्दु आयुर्वेद के साथ उनकी पुत्री वैद्य शिखा प्रकाश को भी संस्थान में सहायक प्रोफेसर पद पर नियुक्ति दी है. आयुर्वेद और आधुनिक विज्ञान में सामंजस्य करने की यह विश्व में अनूठी पहल है.