
- जगमोहन बंगाणी (चित्रकार/ बैफ के संस्थापक)
कला केवल एक माध्यम नहीं, बल्कि एक आत्मिक यात्रा है जो कलाकार की भावनाओं, विचारों और अनुभवों को व्यक्त करने का सशक्त साधन बनती है. यह यात्रा तीन मूलभूत प्रश्नों से होकर गुजरती है: ‘क्यों’, ‘क्या’, और ‘कैसे’. ये प्रश्न कलाकार को उसकी कला के उद्देश्य, प्रक्रिया और अभिव्यक्ति के गहरे अर्थों की खोज करने के लिए प्रेरित करते हैं. आइए, इन तीनों तत्वों का विस्तार से विश्लेषण करें.
‘क्यों’ – कला करने का उद्देश्य
कला के पीछे छिपे उद्देश्य को समझने के लिए सबसे पहले यह जानना जरूरी है कि हर कलाकार की प्रेरणा अलग होती है. ‘क्यों’ का प्रश्न कला की गहरी और व्यक्तिगत कारणों को उजागर करता है. यह केवल एक व्यावसायिक गतिविधि नहीं होती, बल्कि एक मानसिक, भावनात्मक और बौद्धिक प्रक्रिया भी होती है.
कुछ कलाकार अपनी भावनाओं और आंतरिक संघर्षों को व्यक्त करने के लिए कला का सहारा लेते हैं. उनके लिए कला एक उपकरण होती है, जिसके माध्यम से वे अपनी व्यक्तिगत दुनिया, संघर्षों, और सुख-दुख को बाहरी दुनिया से साझा कर सकते हैं. ऐसे कलाकारों के काम में अक्सर उनके जीवन के अनुभव, व्यक्तिगत दृष्टिकोण और आंतरिक विकास को देखा जा सकता है. दूसरी ओर, कुछ कलाकारों के लिए समाज में बदलाव लाना कला का प्रमुख उद्देश्य होता है. वे कला के माध्यम से समाज की विसंगतियों, असमानता, अन्याय और असंवेदनशीलता को उजागर करते हैं. सामाजिक मुद्दों और आंदोलनों पर आधारित कला में न केवल कलाकार की व्यक्तिगत सोच होती है, बल्कि यह समाज के दृष्टिकोण को चुनौती देने और उसे जागरूक करने का एक तरीका भी बन जाता है. कुछ कलाकारों के लिए कला सौंदर्य की सृष्टि होती है. वे कला को सुंदरता, संगति और समानता का प्रतीक मानते हैं. उनका उद्देश्य कला के माध्यम से लोगों को एक सुंदर और अर्थपूर्ण अनुभव देना होता है. ऐसे कलाकारों का लक्ष्य होता है कि उनकी कला देखने वाले को एक आंतरिक शांति और सौंदर्य का अहसास हो. इसके अलावा, कुछ कलाकारों के लिए यह आजीविका का एक साधन होती है. वे कला को अपने जीवन यापन के साधन के रूप में देखते हैं. उनके लिए कला एक पेशा है, जिससे वे अपने परिवार की आजीविका कमा सकते हैं और व्यक्तिगत विकास की ओर बढ़ सकते हैं. कभी-कभी, कलाकारों के लिए कला आत्मसंतोष का एक माध्यम होती है. वे कला को सिर्फ अपने खुद के आनंद और संतुष्टि के लिए करते हैं. उनकी कला, उनके आंतरिक सफर, भावनाओं और विचारों का प्रतिबिंब होती है, जिसे वे बिना किसी बाहरी अपेक्षा के व्यक्त करते हैं.
‘क्यों’ का प्रश्न कलाकार को अपनी कला के मूल उद्देश्य को पहचानने और समझने में मदद करता है. यह उसे अपने दृष्टिकोण को स्पष्ट करने का एक अवसर प्रदान करता है, जिससे वह न केवल अपनी कला की दिशा तय करता है, बल्कि उसे एक गहरी और उद्देश्यपूर्ण यात्रा की ओर भी ले जाता है.
‘क्या’ – कला की विषयवस्तु
कला की विषयवस्तु केवल एक विचार नहीं, बल्कि किसी कलाकार के सृजन की आत्मा होती है. यह न केवल उसकी कृतियों को अन्य कलाकारों से अलग बनाती है, बल्कि उनमें नवीनता और एक विशिष्ट पहचान भी जोड़ती है. कलाकार की संवेदनाएँ, रुचियाँ और समाज से जुड़े अनुभव उसकी विषयवस्तु को आकार देते हैं. जब वह ‘क्या’ का उत्तर खोजता है, तो दरअसल वह अपनी कला के माध्यम से किसी विचार, अनुभूति या गहरे आत्मबोध को प्रकट कर रहा होता है. यह केवल किसी घटना का चित्रण नहीं, बल्कि उसके भीतर छिपे भावों और प्रश्नों की गूंज भी होती है. यदि मैं अपनी कला की बात करूँ, तो मेरी कृतियाँ आध्यात्मिकता, सकारात्मकता और पवित्रता के तत्वों को सहजता से आत्मसात करती हैं. भाषा, संस्कृति, स्मृति और आध्यात्मिक प्रतीकों के माध्यम से मैं एक ऐसा दृश्य संसार रचता हूँ, जो न केवल देखने वाले को विचारशील बनाता है, बल्कि उसे आत्मविश्लेषण की ओर भी प्रेरित करता है.
मेरे चित्रों में भाषा और शब्दों का पुनर्निर्माण एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. मेरी रचनाएँ भाषाई संरचनाओं और स्मृतियों को दृश्य रूप में ढालती हैं, जिससे व्यक्तिगत अनुभव और मानसिक गहराई प्रकट होती हैं. लिखित शब्दों और दृश्य कला का यह संयोजन समाज और संस्कृति की गूढ़ परतों को उद्घाटित करता है, जो दर्शकों को नए दृष्टिकोण से सोचने के लिए प्रेरित करता है.
“कैसे” – कला की प्रक्रिया और तकनीक
“कैसे” का प्रश्न कला की प्रक्रिया और तकनीक की गहरी समझ प्रदान करता है. जब हम किसी कलाकार के सृजन की प्रक्रिया की बात करते हैं, तो यह केवल कृति की बाहरी रूपरेखा या फिनिशिंग तक सीमित नहीं होता, बल्कि इसमें कलाकार के विचार, तकनीकी कौशल, और रचनात्मकता के तत्वों का सामंजस्यपूर्ण मिलाजुला रूप देखने को मिलता है. यह प्रश्न कलाकार के माध्यम, तकनीक और प्रक्रिया के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त करने का एक मार्ग है. आइए इसे कुछ बिंदुओं के माध्यम से जानें .
कलात्मक प्रक्रिया
कलाकार की प्रक्रिया एक यात्रा की तरह होती है, जिसमें विचार, अभिव्यक्ति, और तकनीकी दक्षता मिलकर एक नए रूप में परिवर्तित होते हैं. यह प्रक्रिया कला के निर्माण के विभिन्न चरणों में फैली होती है. उदाहरण के लिए, चित्रकला में सबसे पहले विचार और रचनात्मक कल्पना होती है, फिर रूपरेखा, रंगों और बनावट का चुनाव, और अंत में प्रस्तुति होती है. प्रत्येक चरण में कलाकार अपनी तकनीकी दक्षता का इस्तेमाल करते हुए अपने विचारों को एक वस्तुगत रूप देने का प्रयास करता है. कुछ कलाकार इस प्रक्रिया में प्रयोगात्मक दृष्टिकोण अपनाते हैं, जहां वे अपनी तकनीकी सीमाओं को चुनौती देते हुए नए माध्यमों और विधियों का परीक्षण करते हैं.
तकनीकी कौशल और प्रयोग
तकनीकी दक्षता किसी भी कलाकार की कृतियों को विशेष बनाती है. क्या वह पारंपरिक तकनीकों जैसे तैलरंग, जलरंग या मूर्तिकला की प्राचीन विधियों का उपयोग करता है? या फिर वह आधुनिक तकनीकों जैसे डिजिटल कला, 3D प्रिंटिंग, या मिश्रित मीडिया का सहारा लेता है? समकालीन कलाकार अक्सर नई तकनीकों का प्रयोग करके पारंपरिक सीमाओं को पार करने की कोशिश करते हैं. जैसे जब कलाकार पारंपरिक तैलरंग के साथ डिजिटल तकनीक का प्रयोग करते हैं, तो वे कला की एक नई दिशा की शुरुआत करते हैं, जो न केवल तकनीकी दृष्टिकोण से चुनौतीपूर्ण होती है, बल्कि एक समकालीन संवाद भी उत्पन्न करती है.
नवीनता और मिश्रित तकनीक
यह एक महत्वपूर्ण पहलू है कि कलाकार ने किस प्रकार अपने कार्य में नवीनता लाई है और उसे अपने चित्रों में कैसे उतारा है. क्या वह विभिन्न सामग्रियों और तकनीकों को मिलाकर एक अनूठी शैली विकसित कर रहा है? उदाहरण स्वरूप, यदि एक मूर्तिकार पारंपरिक पत्थर तराशने की तकनीक का उपयोग करते हुए धातु और मिश्रित सामग्री का प्रयोग करता है, तो वह अपनी कला में एक नया रूप और दृष्टिकोण लाता है, जो दर्शकों को एक अनूठे विचार और दृष्टिकोण से परिचित कराता है.
कलाकार की शैली और उसकी विशिष्टता
“कैसे” का उत्तर सीधे तौर पर कलाकार की शैली और कला की विशिष्टता को परिभाषित करता है. कला निर्माण में जिस तकनीक का चयन किया जाता है और जिस तरह से उसे लागू किया जाता है, वही कलाकार की साधना और कला की व्यक्तिगत पहचान को स्पष्ट करता है. उदाहरण के तौर पर, मैं अपनी कला में आध्यात्मिक दृष्टिकोण और सकारात्मक सोच की विशेषता रखते हुए अमूर्त विचारों, प्रतीकों और शब्दरूपों का प्रयोग करता हूँ. मैं पारंपरिक और आधुनिक तकनीकों का सम्मिलन करता हूँ, जो मेरे कार्य को अन्य कलाकारों से अलग बनाती है.
तकनीकी कुशलता का महत्व
कला निर्माण की प्रक्रिया में तकनीकी कौशल की अहमियत को नकारा नहीं जा सकता. जब कलाकार को उसकी कला के विभिन्न पहलुओं का गहरा ज्ञान होता है, तो उसकी कृतियाँ अधिक प्रभावी और सुंदर बनती हैं. चाहे वह तैलरंग हो, जलरंग, या डिजिटल कला, प्रत्येक माध्यम में तकनीकी दक्षता आवश्यक होती है. यह न केवल कला को सुंदर बनाती है, बल्कि उसे एक गहरी और विचारशील पहचान भी प्रदान करती है. “कैसे” का प्रश्न कलाकार को अपनी कला की प्रक्रिया, तकनीक, और शैली पर विचार करने के लिए प्रेरित करता है. यह प्रश्न न केवल कला की तकनीकी गुणवत्ता को उजागर करता है, बल्कि उसमें व्यक्त की गई नवीनता और रचनात्मक दृष्टिकोण को भी सामने लाता है.
कला में ‘क्यों’, ‘क्या’ और ‘कैसे’ ये तीन प्रश्न न केवल कलाकार के विचारों और दृष्टिकोण को स्पष्ट करते हैं, बल्कि उसकी कला की निर्माण प्रक्रिया को भी गहराई से समझने का मार्ग प्रदान करते हैं. ये प्रश्न कलाकार को अपनी कला के उद्देश्य, विषयवस्तु और तकनीकी कौशल पर सोचने के लिए प्रेरित करते हैं, जिससे उसका काम अधिक उद्देश्यपूर्ण और प्रभावशाली बनता है. इन तीनों प्रश्नों का गहन विश्लेषण न केवल कलाकार को अपनी कला को अधिक सार्थक और उद्देश्यपूर्ण बनाने का अवसर देता है, बल्कि समाज और दुनिया को नए दृष्टिकोण से देखने की प्रेरणा भी प्रदान करता है. कला केवल सौंदर्य की सृष्टि नहीं है, बल्कि यह मानवीय अनुभवों और विचारों की गहरी अभिव्यक्ति है. जब कलाकार इन तीन तत्वों—’क्यों’, ‘क्या’, और ‘कैसे’-पर विचार करता है, तो उसकी कला अधिक सजीव, गूढ़ और प्रभावशाली बन जाती है.
इस प्रकार, कला न केवल कलाकार की व्यक्तिगत आत्मा की अभिव्यक्ति होती है, बल्कि यह सामाजिक और सांस्कृतिक संवाद का एक शक्तिशाली माध्यम बन जाती है. ये प्रश्न कलाकार को अपने कार्यों के माध्यम से नए विचारों और दृष्टिकोणों को साझा करने का अवसर देते हैं, जिससे कला एक जीवंत और परिपूर्ण अनुभव बन जाती है.