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उत्तराखंड का स्वाद: सिलबट्टा नमक…

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उत्तराखंड का स्वाद: सिलबट्टा नमक…

  • नितीश डोभाल

“नमक स्वाद अनुसार” because आपने ये बात कहीं न कहीं जरूर सुनी होगी और इसी से हमको नमक की जरूरत का भी पता चलता है. सदियों से नमक हमारे भोजन का बड़ा ही महत्वपूर्ण अंग रहा है. खाने की ज्यादातर चीजों में नमक का प्रयोग ही इसकी उपयोगिता को सिद्ध करने के लिए काफी है. नमक न केवल खाने में स्वाद बढ़ाता है बल्कि because यह खाने की कुछ चीजों को लंबे समय तक सुरक्षित रखने के काम भी आता है. हमारे रोज के भोजन में इस्तेमाल होने के अलावा नमक दवाओं, सौंदर्य प्रसाधनों और घरेलू नुस्खों में भी प्रयोग किया जाता है.

नमक

रवांई घाटी (उत्तराखंड) में सिलबट्टे में नमक तैयार करती महिलाएं. सभी फोटो आशिता डोभाल

वैसे तो नमक के कई प्रकार हैं, साधारण समुद्री नमक, हिमालयन नमक, कोशर नमक, सेंधा नमक आदि. इन सब में सबसे ज्यादा प्रयोग किया जाता है because साधारण नमक. साधारण नमक से जुड़ी कई कहावतें, किस्से-कहानियाँ हमको सुनने को मिल जाती हैं जिससे पता चलता है कि नमक का मानव जीवन के साथ गहरा संबंध है. पुरानी सभ्यताओं के इतिहास से भी नमक के प्रयोगों की जानकारी मिलती है.

नमक

हमारे प्रदेश उत्तराखंड की because बात करें तो नमक से जुड़ी अनेक कहानियाँ सुनने को मिलती हैं.because पुराने समय में, ढाकरियों (मालवाहकों) द्वारा घोड़े-खच्चरों द्वारा नमक को मैदानी क्षेत्रों से खरीद कर पहाड़ों में पहुँचाया जाता था. इस प्रकार दूरवर्ती पहाड़ी अंचलों में नमक एक लंबी यात्रा कर के पहुँचता था.

नमक

रोज के भोजन में नमक के because सामान्य प्रयोग के अतिरिक्त हमारे गाँवों because में नमक को मसालों के साथ सिलबट्टे में पीस कर भी प्रयोग किया जाता है. पहाड़ी बोलियों में नमक को सामान्यतः “लूण” कहा जाता है because और मसालों के साथ सिलबट्टे में हाथ से पिसे इस लूण/नमक को इसके अलग रंग, स्वाद, महक और औषधीय गुणों के लिए जाना जाता है. because इस सिलबट्टे के पिसे नमक की खास बात यह है कि आपको इसके कई रूप और स्वाद देखने को मिल सकते हैं जो स्थान विशेष पर निर्भर करते हैं.

नमक

इस नमक को because बनाने में लोग स्थानीय कृषि उत्पादों का ही प्रयोग करते हैं जिनमें लहसुन, because अदरक, मिर्च, जीरा, सरसों, पुदीना, हरा धनिया, भंगजीरा, चोरु, मुर्या आदि प्रमुख हैं. इन उत्पादों को साधारण नमक के साथ मिला कर और सिलबट्टे में पीस कर फिर अलग-अलग स्वाद, रंगत और महक वाले नमक तैयार किए जाते हैं. ये नमक because न केवल स्वाद को बढ़ाते हैं बल्कि ये मसालों और अन्य उत्पादों से मिलकर बने होने के कारण स्वास्थ्य की दृष्टि से भी बड़े लाभदायक होते हैं.

नमक

सिलबट्टे में पिसे इन नमकों को सबसे ज्यादा खटाई, सलाद, पहाड़ी खीरा (ककड़ी), मंडुए की रोटी, अंगारों में भुने आलू, कचालू, उबली दालों, because कचमोली (भुना हुआ बकरे का मांस) आदि के साथ खाया जाता है. because नमक में पिसे हुए मसालों से इन सभी चीजों का स्वाद और भी बढ़ जाता है. इनके अलावा पिसे नमक को दही, मठ्ठा, रायता, भेल, सेव जैसी चाट में भी प्रयोग करके आप इनके अलग स्वाद का मज़ा ले सकते हैं. सिलबट्टा नमक को लंबे समय तक आप because सुरक्षित रख सकते हैं और आवश्यकता अनुसार इनका प्रयोग भी कर सके हैं. नए स्वाद को तलाशते भोजनप्रेमियों के लिए ये पिसे नमक किसी सौगात से कम नहीं हैं.

नमक

सिलबट्टा नमक की लोकप्रियता because को देखते हुए अब उत्तराखंड के पिसे नमक को घर-घर पहुँचाने के लिए कई प्रतिष्ठान हैं जो इनके व्यावसायिक उत्पादन पर भी जोर दे रहे हैं. जिससे लोगों को पहाड़ी उत्पादों और पहाड़ी स्वादों के मेल से बने ये नमक बहुत आसानी से उपलब्ध हो रहे हैं. जिससे पहाड़ी क्षेत्रों में because आमदनी के नए आयाम स्थापित हो रहे हैं. वैसे देखा जाए तो सिलबट्टा because नमक केवल एक खाने की चीज न होकर उत्तराखंड की संस्कृति, यहाँ के लोगों का परिश्रम, आम जन जीवन के दर्शन का प्रतीक भी है जो अपने स्वाद के साथ-साथ इन सबको भी अन्य लोगों तक पहुँचाने में अपना योगदान दे रहा है.

(अनुवादक और लेखक)

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