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प्रकृति से सहभाहिगता के पक्षधर मनीषी

प्रकृति से सहभाहिगता के पक्षधर मनीषी

स्मृति-शेष
चारु तिवारी ‘क्या हैं जंगल के उपकार, मिट्टी, पानी और बयार. मिट्टी, पानी और बयार,  जिन्दा रहने के आधार.’  पर्यावरण और हिमालय की हिफाजत की समझ को विकसित करने वाले इस नारे के साथ एक पीढ़ी बड़ी हुई. इस नारे को जन-जन तक पहुंचाने वाले हिमालय प्रहरी सुन्दरलाल बहुगुणा के साथ. साठ-सत्तर के दशक में हिमालय और पर्यावरण को जानने-समझने की जो चेतना विकसित हुई उसमें सुन्दरलाल बहुगुणा के योगदान को हमेशा याद because किया जायेगा. पर्यावरण और हिमालय को जानने-समझने वालों के अलावा एक बड़ी जमात है जो उन्हें एक आइकॉन की तरह देखती रही है. कई संदर्भों में, कई पड़ावों में. उन्हें पहचान भले ही एक पर्यावरणविद के रूप में मिली, लेकिन स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, सामाजिक-राजनीतिक कार्यकर्ता, सामाजिक समरसता के लिये काम करने वाले कार्यकर्ता, महिलाओं और दलित समाज में गैरबराबरी लिये उन्होंने बड़ा काम किया. एक सजग पत्रकार क...