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क्या असमान वार्मिंग से हो रहा है वसंत का अंत? 

क्या असमान वार्मिंग से हो रहा है वसंत का अंत? 

पर्यावरण
क्लाइमेट सेंट्रल के एक नए विश्लेषण से भारत के सर्दियों के तापमान में एक चिंताजनक प्रवृत्ति का पता चलता है. जहां एक ओर पूरे देश में सर्दियाँ तो पहले से गर्म हो रही हैं, वहीं तापमान बढ़ने की दर, क्षेत्र, और महीने की बात करें तो उसमें एक जैसी प्रवृत्ति नहीं. इस असमान वार्मिंग पैटर्न के कारण भारत के कुछ हिस्सों में वसंत का मौसम कम दिनों में सिमट रहा है.  ग्लोबल वार्मिंग का भारत पर प्रभाव  यह अध्ययन साल 1970-2023 की अवधि पर केंद्रित था. इसमें पाया गया कि ग्लोबल वार्मिंग, जो मुख्य रूप से फोस्सिल फ्यूल जलाने से बढ़ते कार्बन डाइऑक्साइड एमिशन से प्रेरित है, ने भारत के सर्दियों के मौसम (दिसंबर-फरवरी) को काफी प्रभावित किया है. विश्लेषण किए गए प्रत्येक क्षेत्र में 1970 के बाद से सर्दियों के तापमान में शुद्ध वृद्धि देखी गई. हालाँकि, वार्मिंग की भयावहता काफी भिन्न थी.  पूर्वोत्तर भारत तेजी से गर्म हो...
बसंत उस तोर के पेड़ पर आयेगा या नहीं अनभिज्ञ थी मैं

बसंत उस तोर के पेड़ पर आयेगा या नहीं अनभिज्ञ थी मैं

साहित्‍य-संस्कृति
सुनीता भट्ट पैन्यूली जनवरी का महीना था, ज़मीन से उठता कुहासा मेरे घर के आसपास विस्तीर्ण फैले हुए गन्ने के खेतों पर एक वितान-सा बुनकर मेरे भीतर न जाने कहीं because सहमे हुए बच्चे की तरह बुझा-बुझा सा बैठ जाया करता था. जनवरी लाख चेष्टा की because मैंने मेरे भीतर बैठ गये डरे सहमे से उस कुहासे रूपी बच्चे को माघ की बहुरूपिया धूप में धुपियाने की, किंतु वह ठगनी धूप मेरे भीतर बैठे उदास बच्चे की अन्यमनस्कता को कभी पढ़ ही नहीं पायी, न ही सहला पायी हौले से, उसकी बेजान पड़ी दिल की झंकारों को किसी संगीत के सुर में ढालकर. नवरी पढ़ें— हिमालयी सरोकारों को समर्पित त्रैमासिक पत्रिका ‘हिमांतर’ का लोकार्पण मेरे घर के हाते में एक विचित्र-सा because पेड़ लगा है, बारीक सी बुझी-बुझी सी पत्तियों वाला.., माघ के भीषण कोहरे में न चाहते हुए भी उसकी मलिनता, काहिली पत्तियों से छनकर मेरे संपूर्ण अस्ति...