Tag: Prakash Upreti

एक झोला हाथ में, चार चेले साथ में

एक झोला हाथ में, चार चेले साथ में

संस्मरण
प्रकाश उप्रेती  सभागार खचाखच नहीं भरा था. स्टेज पर 4 कुर्सियां और नाम की पट्टी थी. एक आयोजकनुमा जवान अंदर-बाहर और स्टेज के ऊपर नीचे चक्कर काट रहा था. गिनती तो नहीं की लेकिन सभागार में अभी सात-आठ लोग ही थे. उनमें से भी 2 लोग बैठ हुए थे बाकी सभागार की भव्यता और स्टेज की सजावट को हसरत भरी निग़ाहों से निहार रहे थे. तभी 24-25 साल का एक नौजवान गेट को पूरी ताकत से धक्का देते हुए सभागार के भीतर घुसा. उस नौजवान के ललाट पर पसीने की कुछ बूंदे थी, बाल अजय देवगन की भांति माथे से चिपके थे, पीले रंग की कमीज जिसे नाभि तक पहनी हुई पेंट के भीतर अतिरिक्त परिश्रम से खोंचा गया था, पेट तीन चौथाई निकला हुआ, कंधे पर हिमाचल में हुए सेमिनार का झोला, पाँव में चोंच वाले जूते, चेहरे पर अति गंभीरता थी. इस मुद्रा को मैंने ही नहीं बल्कि वहाँ उपस्थित उन 7-8 लोगों ने भी नोटिस किया. भीतर घुसते ही वह दिव्य नौजवान स्टेज की...
जीवन-जगत में हरियाली का प्रतीक ‘हरेला’

जीवन-जगत में हरियाली का प्रतीक ‘हरेला’

लोक पर्व-त्योहार
प्रकाश उप्रेती ईजा ने आज हरेला 'बूत' (बोना) दिया. जो लोग 10वे दिन हरेला काटते हैं उन्होंने 7 तारीख और हम 9वे दिन हरेला काटते हैं इसलिए ईजा ने आज यानि 8 तारीख को बोया. हरेला का अर्थ हरियाली से है. यह हरियाली जीवन के सभी रूपों में बनी रहे उसी का द्योतक यह लोकपर्व है. 'पर्यावरण’ जैसे शब्द की जब ध्वनि भी नहीं थी तब से प्रकृति पहाड़ की जीवनशैली का अनिवार्य अंग है. जीवन के हर भाव, दुःख-सुख, शुभ-अशुभ, में प्रकृति मौजूद रहती है. जीवन के उत्सव में प्रकृति की इसी मौजूदगी का लोकपर्व हरेला है. हरेला ऋतुओं के स्वागत का पर्व भी है. नई ऋतु के अगमान के साथ ही यह पर्व भी आता है. इस दिन के लिए कहा जाता है कि अगर पेड़ की कोई टहनी भी मिट्टी में रोप दी जाए तो वो भी जड़ पकड़ लेती है. यहीं से पहाड़ों में हरियाली छाने लगती है. नई कोपलें निकलने लगती हैं. हरेला हरियाली और समृद्धि का प्रतीक है. सावन का महीना आरम्भ...
उत्तराखंड स्थापना दिवस : 21 वर्षों में मुख्मंत्रियों के सिवा बदला क्या?

उत्तराखंड स्थापना दिवस : 21 वर्षों में मुख्मंत्रियों के सिवा बदला क्या?

देहरादून
उत्तराखंड स्थापना दिवस पर विशेष प्रकाश उप्रेती उत्तराखंड राज्य के हिस्से में जो कुछ अभी है वह KBC यानी ‘कौन बनेगा करोडपति’  का एक प्रश्न है. यही हमारा हासिल भी है. हमारे यहाँ कौन बनेगा सीएम (KBC) सिर्फ because चुनाव के समय का प्रश्न नहीं है बल्कि स्थायी प्रश्न है. इसीलिए स्वास्थ्य, रोजगार, शिक्षा, कृषि, पर्यटन, परिवहन, पलायन आदि की स्थिति में कोई गुणात्मक अंतर इन 21वर्षों में नहीं आया है लेकिन वहीं इन 21 वर्षों में हमने 11 मुख्यमंत्री जनता पर थोप दिए. असल में यही हमारी 21 वर्षों की बड़ी उपलब्धि है. ज्योतिष एक राज्य के हिस्से में 21 वर्ष का समय क्या वाकई में वयस्क और परिपक्व होने का पर्याप्त समय है! विकास के पंचवर्षीय वादों पर वोट लुटा देने वाले नागरिक समाज के लिए 21 वर्ष के क्या मायने हैं. इन वर्षों में उन सपनों का क्या हुआ जिनके लिए संघर्ष किया गया था. इन 21 वर्षों में साल-दर-साल प...