Tag: Climate Change

क्या असमान वार्मिंग से हो रहा है वसंत का अंत? 

क्या असमान वार्मिंग से हो रहा है वसंत का अंत? 

पर्यावरण
क्लाइमेट सेंट्रल के एक नए विश्लेषण से भारत के सर्दियों के तापमान में एक चिंताजनक प्रवृत्ति का पता चलता है. जहां एक ओर पूरे देश में सर्दियाँ तो पहले से गर्म हो रही हैं, वहीं तापमान बढ़ने की दर, क्षेत्र, और महीने की बात करें तो उसमें एक जैसी प्रवृत्ति नहीं. इस असमान वार्मिंग पैटर्न के कारण भारत के कुछ हिस्सों में वसंत का मौसम कम दिनों में सिमट रहा है.  ग्लोबल वार्मिंग का भारत पर प्रभाव  यह अध्ययन साल 1970-2023 की अवधि पर केंद्रित था. इसमें पाया गया कि ग्लोबल वार्मिंग, जो मुख्य रूप से फोस्सिल फ्यूल जलाने से बढ़ते कार्बन डाइऑक्साइड एमिशन से प्रेरित है, ने भारत के सर्दियों के मौसम (दिसंबर-फरवरी) को काफी प्रभावित किया है. विश्लेषण किए गए प्रत्येक क्षेत्र में 1970 के बाद से सर्दियों के तापमान में शुद्ध वृद्धि देखी गई. हालाँकि, वार्मिंग की भयावहता काफी भिन्न थी.  पूर्वोत्तर भारत तेजी से गर्म हो...
आज ही के दिन बदली थी कोविड को लेकर हमारी सोच

आज ही के दिन बदली थी कोविड को लेकर हमारी सोच

पर्यावरण
निशांत आज से ठीक एक साल पहले, 23 जनवरी 2020 को, चीन ने जब वुहान शहर में तालाबंदी लागू की थी, तब शायद पहली बार पूरी दुनिया ने कोविड को एक महामारी की शक्ल में संजीदगी से लिया था. खूबसूरती साल भर बाद आज कोविड-19 न सिर्फ पूरी दुनिया में ज़बरदस्त नुकसान पहुंचा चुका है, बल्कि इस ग्रह पर लगभग सभी की ज़िन्दगी को भी बदल चुका है. इस महामारी ने विश्व को because सोचने पर मजबूर कर दिया है और पुराने सभी मानदंडों को भी चुनौती भी दे दी है. इस वैश्विक महामारी ने जलवायु परिवर्तन के साथ मिल कर एक यौगिक संकट उत्पन्न कर दिया है. साथ ही प्रकृति के साथ मानव विकास को because संरेखित करने की आवश्यकता की याद दिला दी है, जो आने वाले वर्ष के लिए नई उम्मीदें प्रदान करता है. यह महत्वपूर्ण है कि हम कोविड 19 से सबक सीखें और साथ ही आगे के वर्ष  में उन चुनौतियों का समाधान करने की ओर आगे बढ़े. खूबसूरती कोविड-19 के...
जलवायु परिवर्तन से दुनिया को 2020 में हुई अरबों की हानि: रिपोर्ट

जलवायु परिवर्तन से दुनिया को 2020 में हुई अरबों की हानि: रिपोर्ट

पर्यावरण
निशांत रिपोर्ट में जलवायु परिवर्तन से प्रभावित दस मुख्य घटनाओं की पहचान की गई है, जिनमें से प्रत्येक में 1.5 बिलियन डॉलर का नुकसान हुआ है. because इन मुख्य घटनाओं में से नौ 5 बिलियन डॉलर से अधिक के नुकसान का कारण बनीं. बाढ़, तूफान, उष्णकटिबंधीय चक्रवात और आग ने दुनिया भर में हजारों लोगों की जान ले ली. गहन एशियाई मानसून दस सबसे कम खर्चीली घटनाओं में से पांच से पीछे था. रिकॉर्ड तोड़ तूफान के मौसम और आग के कारण अमेरिका सबसे अधिक लागतों से प्रभावित हुआ था. जलवायु क्रिश्चियन एड की एक नई रिपोर्ट, because लागत 2020 की गणना: एक वर्ष की जलवायु टूटने से वर्ष की सबसे विनाशकारी जलवायु आपदाओं में से 15 की पहचान होती है. इन घटनाओं में से दस की लागत 1.5 बिलियन डॉलर या उससे अधिक है. इनमें से नौ में कम से कम 5 बिलियन डॉलर की क्षति होती है. इनमें से अधिकांश अनुमान केवल बीमित घाटे पर आधारित हैं, जिस...
किसानों का असली दुश्मन, जलवायु परिवर्तन

किसानों का असली दुश्मन, जलवायु परिवर्तन

समसामयिक
निशांत फ़िलहाल देश में किसानों का because आन्दोलन मीडिया की सुर्खिया बटोर रहा है. किसानों से जुड़ी हर रिपोर्ट में एमएसपी और आढ़ती शब्द जगह बनाए हुए हैं. लेकिन जलवायु परिवर्तन एक ऐसा शब्द युग्म है जिसका प्रयोग किसानों और किसानी के संदर्भ में ज़्यादा से ज़्यादा होना चाहिए. मीडिया इसकी वजह यह है कि भारतीय किसानों का सबसे बड़ा दुश्मन जलवायु परिवर्तन है. लेकिन समस्या यह है कि इस दुश्मन को न किसान देख पा रहे हैं हैं उन्हें मीडिया दिखा रही है. because फ़िलहाल, ताज़ा ख़बर ये है कि भारतीय किसान पहले से ही जलवायु परिवर्तन के प्रभावों की चपेट में हैं. औसत वार्षिक तापमान बढ़ने से फसल की पैदावार/ उपज में गिरावट आई है और बेमौसम बारिश और भारी बाढ़ से फसल क्षति के क्षेत्र में वृद्धि हो रही है. यह सारी जानकारी आज क्लाइमेट ट्रेंड्स द्वारा जारी एक रिपोर्ट से मिलती है. इस ब्रीफिंग रिपोर्ट में बताया गया है क...
भारत क्लाइमेट चेंज परफॉरमेंस इंडेक्स की टॉप टेन रैंकिंग में शामिल

भारत क्लाइमेट चेंज परफॉरमेंस इंडेक्स की टॉप टेन रैंकिंग में शामिल

पर्यावरण
दस सबसे अव्वल देशों में भारत के साथ मोरक्को और चिली जैसे दो और विकासशील देश, दुनिया का कोई मुल्क पेरिस समझौते के लक्ष्यों के अनुकूल नहीं निशांत पेरिस समझौते के because पांच साल बाद भी कोई देश पेरिस समझौते के लक्ष्यों के अनुरूप नहीं है. वहीं तीन विकासशील देश, क्लाइमेट चेंज परफॉरमेंस इंडेक्सस्ट की टॉप टेन  रैंकिंग में शामिल हैं.  इनमें मोरक्को -7वें, चिली -9वें और भारत 10वें स्थान पर है. पेरिस इस बात की जानकारी मिली because आज जारी हुए क्लाइमेट चेंज परफॉरमेंस इंडेक्स2021 से, जिसे जर्मनवाच और न्यूक्लाइमेट इंस्टीट्यूट ने क्लाइमेट एक्शन नेटवर्क (CAN) के साथ मिलकर प्रकाशित किया गया है. पेरिस यह रिपोर्ट 2030 के लिए जलवायु because लक्ष्यों पर यूरोपीय संघ के शिखर सम्मेलन और 12 दिसंबर को पेरिस समझौते की पांचवीं वर्षगांठ को चिह्नित करने के लिए संयुक्त राष्ट्र जलवायु महत्वाकांक्षा शिखर...
ब्रिटेन की जलवायु नीति ने बनाया तमाम देशों पर सही फ़ैसले लेने का दबाव

ब्रिटेन की जलवायु नीति ने बनाया तमाम देशों पर सही फ़ैसले लेने का दबाव

पर्यावरण
12 दिसंबर को आयोजित होगा 'क्लाइमेट एम्बिशन समिट'  निशांत जलवायु को लेकर ब्रिटेन के ऊंचे लक्ष्‍यों के कारण दुनिया के बाकी देशों पर आगामी 12 दिसम्‍बर को आयोजित होने वाली क्‍लाइमेट एम्‍बीशन समिट से पहले जलवायु सम्‍बन्‍धी चुनौती के सामने उठ खड़े होने का दबाव बढ़ गया है. ब्रिटेन ने सही दिशा में आगे बढ़ने का मौका लपक लिया है. उम्मीद है कि इससे अन्य देशों को भी वैश्विक तापमान को 1.5 डिग्री सेल्सियस से नीचे ही रखने के महत्वाकांक्षी लक्ष्य को हासिल करने के लिए प्रेरणा मिलेगी. ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉन्सन ने प्रदूषणकारी तत्‍वों के उत्सर्जन में कटौती करने के ब्रिटेन के 2030 तक के लक्ष्य में उल्लेखनीय बढ़ोत्‍तरी करेंगे, ताकि अगले दशक में कार्बन मुक्ति के प्रयासों को तेज किया जा सके और अगले साल ग्लासगो में आयोजित होने जा रही सीओपी 26 में जलवायु परिवर्तन से निपटने की दौड़ की वैश्विक अगुव...