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संत कबीर दास का गुरु स्मरण

संत कबीर दास का गुरु स्मरण

साहित्‍य-संस्कृति
गुरु पूर्णिमा (24 जुलाई) पर विशेषप्रो. गिरीश्वर मिश्र  निर्गुण संत परम्परा के काव्य में गुरु की महिमा पर विशेष ध्यान दिया गया है और शिष्य या साधक के उन्नयन में उसकी भूमिका को बड़े आदर से देखा गया है. गुरु को ‘सद्गुरु’ भी कहा गया है और सद्गुरु को ईश्वर या परमात्मा के रूप में भी व्यक्त किया गया है. सामान्यत: संतों द्वारा  गुरु को प्रकाश के श्रोत के रूप में लिया गया है जो अन्धकार से आवृत्त शिष्य को सामर्थ्य देता है और उसे मिथ्या और भ्रम से निजात दिलाता है. गुरु वह  दृष्टि देता है जिससे यथार्थ so दृष्टिगत हो पाता है. गुरु की कृपा से शिष्य यथार्थ ज्ञान और बोध के स्तर पर संचरित होता है और दृष्टि बदलने से दृश्य और उसका अभिप्राय भी बदल जाता है. निर्गुण परमात्मा की ओर अभिमुख दृष्टि के आलोक में  व्यक्ति का अनुभव, कर्म और दुनिया से सम्बन्ध नया आकार ग्रहण करता है.शिक्षा यद्यपि भारत में गुरु, ...