Tag: लोक संस्कृति

नरेन्द्र सिंह नेगी: लोक संस्कृति के भी मर्मस्पर्शी गीतकार

नरेन्द्र सिंह नेगी: लोक संस्कृति के भी मर्मस्पर्शी गीतकार

साहित्‍य-संस्कृति
नरेन्द्र सिंह नेगी के जन्मदिन पर विशेष डॉ. मोहन चंद तिवारी उत्तराखण्ड की लोक संस्कृति को देश विदेश में पहचान देने वाले गढवाल के जाने माने लोकगायक व गीतकार श्री नरेन्द्र सिंह नेगी का आज जन्म दिन है.माना जाता है कि अगर आप उत्तराखण्ड और वहां के जीवन दर्शन, समाज और लोक संस्कृति, राजनीति, रीति रिवाज, विभिन्न ऋतुओं आदि के बारे में जानना चाहते हों तो केवल नरेन्द्र सिंह नेगी जी के सुरीले गीतों को सुन लो. उनमें वह सब कुछ मिल जाएगा. आसपास नेगी जी का जन्म 12 अगस्त 1949 को पौड़ी जिले के पौड़ी गाँव उत्तराखण्ड में हुआ. उन्होंने अपनी गायकी की शुरुआत पौड़ी से की थी और अब तक वे दुनिया भर के कई बडे-बडे देशों में जाकर अपनी कला का प्रदर्शन कर चुके हैं. नेगी जी ने अपने गीतों के माध्यम से उत्तराखण्ड की लोक संस्कृति का इन्द्रधनुषी रंग बिखेरा है.इस क्षेत्र की वीरगाथाओं को सुरीले स्वर प्रदान किए हैं. जनम...
हरेला : पहाड़ की लोक संस्कृति और हरित क्रांति का पर्व

हरेला : पहाड़ की लोक संस्कृति और हरित क्रांति का पर्व

साहित्‍य-संस्कृति
डॉ. मोहन चंद तिवारी इस बार हरेला संक्रांति का पर्व उत्तराखंड में 16 जुलाई को मनाया जाएगा.अपनी अपनी रीति के अनुसार नौ या दस दिन पहले बोया हुआ हरेला इस श्रावण मास की संक्रान्ति को काटा जाता है.सबसे पहले हरेला घर के मन्दिरों और गृह द्वारों में चढ़ाया जाता है और फिर  माताएं, दादियां और बड़ी बजुर्ग महिलाएं हरेले की पीली पत्तियों को बच्चों,युवाओं, पुत्र, पुत्रियों के शरीर पर स्पर्श कराते हुए आशीर्वाद देती हैं- “जी रये,जागि रये,तिष्टिये,पनपिये, दुब जस हरी जड़ हो, ब्यर जस फइये. हिमाल में ह्यूं छन तक, गंग ज्यू में पांणि छन तक, यो दिन और यो मास भेटनैं रये. अगासाक चार उकाव, धरती चार चकाव है जये, स्याव कस बुद्धि हो, स्यू जस पराण हो.” परम्परा के अनुसार हरेला उगाने के लिए पांच अथवा सात अनाज गेहूं, जौ,मक्का, सरसों, गौहत, कौंड़ी, धान और भट्ट आदि के बीज घर के भीतर छोटी टोकरियों अथवा लकड़ी के ...
पहाड़ की माटी की सुगंध से उपजा कलाकार : वंशीधर पाठक ‘जिज्ञासु’   

पहाड़ की माटी की सुगंध से उपजा कलाकार : वंशीधर पाठक ‘जिज्ञासु’   

स्मृति-शेष
पुण्यतिथि (8 जुलाई) पर विशेष डॉ. मोहन चन्द तिवारी आज उत्तराखंड की लोक संस्कृति के पुरोधा वंशीधर पाठक जिज्ञासु जी की पुण्यतिथि है. जिज्ञासु जी ने कुमाऊं और गढ़वाल के लोक गायकों, लोक कवियों और साहित्यकारों को आकाशवाणी के मंच से जोड़ कर उन्हें प्रोत्साहित करने का जो महत्त्वपूर्ण कार्य किया और आकाशवाणी से प्रसारित होने वाले अपने लोकप्रिय कार्यक्रम 'उत्तरायण' के माध्यम से देशभर में पहाड़ की संस्कृति का लंबे समय तक प्रचार-प्रसार किया,उसके लिए उन्हें उत्तराखंड के लोग सदा याद रखेंगे. जिज्ञासु जी को प्रारम्भ से ही कविताएं और कहानियां लिखने का बहुत शौक था. इसलिए इनकी रचनाएं पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होने लगी. वर्ष 1962 में उनके मित्र जयदेव शर्मा ‘कमल’ ने उन्हें आकाशवाणी में विभागीय कलाकार के रूप में आवेदन करने को कहा. उस समय 1962 में चीनी हमले के बाद भारत सरकार ने उत्तर प्रदेश के सीमां...