Tag: मंजू काला

क्या हैं चावल से जुड़ी मान्यताएं व रस्में…

क्या हैं चावल से जुड़ी मान्यताएं व रस्में…

ट्रैवलॉग
देहरादून के बासमती चावल की दुनियाभर में रही है धाक! मंजू दिल से… भाग-20 मंजू काला आज धानेर खेते रोद्र छाया लुको चोरी खेला  रे भयी लुको चोरी खेला रे! (ठाकुर जी का रविंद्र संगीत) प्राचीन समय से ही भारतीय थाली में दाल और चावल परोसने की परंपरा रही है. चावल की दुनियाभर में तकरीबन चालीस हजार से ज्यादा किस्में हैं. चावल के उत्पादन में भारत दूसरे स्थान पर है. बहुत पहले विश्वभर में धान जंगली रूप में उगता था, लेकिन खुशबू तथा स्वाद के चलते चावल के किस्से मशहूर होने लगे. ढेरों किस्सों-कहानियों because से रूबरू करवाने वाले चावल की नस्लों को सहेजने के लिए फिलीपींस में एक जीन बैंक भी है. फिलीपींस का ही बनाऊ चावल खेती के लिए आठवें आश्चर्य की तरह देखा जाता है. रोचक बात यह भी है कि यहां टेरेस फॉर्मिंग जैसी जगह है, जहां समुद्र तल से 3,000 फीट की ऊंचाई पर हजारों साल पुराने खेत हैं, जहां पहाड़िय...
हिंदुस्तान की कर्नाटकी…

हिंदुस्तान की कर्नाटकी…

ट्रैवलॉग
मंजू काला मूलतः उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल से ताल्लुक रखती हैं. इनका बचपन प्रकृति के आंगन में गुजरा. पिता और पति दोनों महकमा-ए-जंगलात से जुड़े होने के कारण, पेड़—पौधों, पशु—पक्षियों में आपकी गहन रूची है. आप हिंदी एवं अंग्रेजी दोनों भाषाओं में लेखन करती हैं. so आप ओडिसी की नृतयांगना होने के साथ रेडियो-टेलीविजन की वार्ताकार भी हैं. लोकगंगा पत्रिका की संयुक्त संपादक होने के साथ—साथ आप फूड ब्लागर, बर्ड लोरर, टी-टेलर, बच्चों की स्टोरी टेलर, ट्रेकर भी हैं.  नेचर फोटोग्राफी में आपकी खासी दिलचस्‍पी और उस दायित्व को बखूबी निभा रही हैं. आपका लेखन मुख्‍यत: भारत की संस्कृति, कला, खान-पान, लोकगाथाओं, रिति-रिवाजों पर केंद्रित है. इनकी लेखक की विभिन्न विधाओं को हम हिमांतर के माध्यम से 'मंजू दिल से...' नामक एक पूरी सीरिज अपने पाठकों तक पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं. पेश है मंजू दिल से... की 12वीं किस्त... ...
छत्तीसगढ़ : पौराणिक काल का कौशल प्रदेश…

छत्तीसगढ़ : पौराणिक काल का कौशल प्रदेश…

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बिहाय के पकवान मंजू दिल से… भाग-11 मंजू काला भांवर परत हे, भांवर परत हे हो नोनी दुलर के, so हो नोनी दुलर के होवत हे दाई, मोर but रामे सीता के बिहाव होवत हे दाई, मोर because रामे सीता के बिहाव एक भांवर परगे, because एक भांवर परगे हो नोनी दुलर के, because हो नोनी दुलर के अगनी देवता दाई, because हाबय मोर साखी अगनी देवता दाई, because हाबय मोर साखी दुई भांवर परगे, because दुई भांवर परगे हो नोनी दुलर के, because हो नोनी दुलर के गौरी गनेस दाई, because हाबय मोर साखी गौरी गनेस दाई, because हाबय मोर साखी तीन भांवर परगे, तीन भांवर परगे हो नोनी दुलर के, because हो नोनी दुलर के देवे लोके दाई, because हाबय मोर साखी देवे लोके दाई, because हाबय मोर साखी चार भांवर परगे, चार भांवर परगे हो नोनी दुलर के, because दाई नोनी दुलर के दुलरू के नोनी, because तोर अंग झन डोलय दुलरू के नोनी...