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एक ऐसा पहाड़ जो हर तीसरे साल लेता है ‌मनुष्यों की बलि!

एक ऐसा पहाड़ जो हर तीसरे साल लेता है ‌मनुष्यों की बलि!

संस्मरण
एम. जोशी हिमानी  हमारे देश के अन्य हिस्सों की तरह उत्तराखंड में भी हर खेत, हर पहाड़ का कोई न कोई नाम होता है. मेरी जन्मभूमि पिथौरागढ़ के 'नैनी' गांव के चारों तरफ के पहाड़ों के भी नाम हैं जैसे- कोट, हरचंद, ख्वल, घंडद्यो, भ्यल आदि. नैनी के पीछे सीधे खड़ा दुर्गम, बहुत ही कम पेड़ों वाला भ्यल नामक पहाड़ अनेक डरावने रहस्यों से भरा हुआ है. इसके बारे में कहा जाता है कि यह पहाड़ हर तीसरे साल ‌मनुष्यों की बलि लेता है. अनेक आदमी-औरतें‌ आज तक इस पहाड़ से गिरकर अकाल मृत्यु को प्राप्त हो चुके हैं. उन दिनों जमतड़ गांव के लोग हफ्तों पहले से इलाके वालों को आगाह कर दिया करते थे कि भ्यल रात में तड़कने लगा है. वह अजीब-सी डरावनी आवाजें करने लगा है. इसलिए सब लोग सतर्क हो जाएं, भ्यल की तरफ जाना बंद कर दें. रात में पहाड़ के रोने, थरथराने का क्रम तब तक जारी रहता था जब तक पहाड़ से कोई गिर कर मर न जाए. ...