अस्तित्व की व्याप्ति का उत्सव है होली

अस्तित्व की व्याप्ति का उत्सव है होली

होली पर विशेष प्रो. गिरीश्वर मिश्र  प्रकृति के सौंदर्य और शक्ति के साथ अपने हृदय की अनुभूति को बाँटना बसंत ऋतु का तक़ाज़ा है. मनुष्य भी चूँकि उसी प्रकृति की एक विशिष्ट कृति है इस कारण वह इस उल्लास से अछूता नहीं रह पाता. माघ महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को वसंत की […]

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 होली के रंग…

होली के रंग…

होली पर की कल्याण सिंह चौहान दो कविताएं  1. होली के रंग रंग ले रंग ले, तन रंग ले, तन रंग ले, तु मन रंग ले, होली के रंग रंग ले।। रंग ले रंग ले…. रंग ले रंग ले, दुनिया के रंग ले रंग ले, रंग ले रंग ले, दुनिया अपने रंग रंग ले, रंग […]

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 कोरोना की छाया में होली की आहट

कोरोना की छाया में होली की आहट

प्रो. गिरीश्वर मिश्र इस बार टंड और ठिठुरन का मौसम कुछ लंबा ही खिंच गया. पहाड़ों पर होती अच्छी बर्फवारी के चलते मैदानी इलाके की हवा रह-रह कर गलाने वाली होने लगी थी. बीच में कई दिन ऐसे भी आए जब सूर्यदेव भी कम दिखे और सिहरन कुछ ज्यादा बढ़ गई. पर ठिठुरन बाहर से […]

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