Tag: होली

वसंतोत्सव और होली पर मातृशक्ति ने दी प्रभावी प्रस्तुतियां

वसंतोत्सव और होली पर मातृशक्ति ने दी प्रभावी प्रस्तुतियां

दिल्ली-एनसीआर
पर्वतीय लोकविकास समिति के 20 वें स्थापना दिवस पर " बौड़ि ऐजा" और अनमोल सूक्तियां का लोकार्पण नोएडा सैक्टर 62 स्थित प्रेरणा मीडिया सेंटर में भारतीय गांवों एवं पर्वतीय क्षेत्रों के कल्याण में समर्पित संस्था पर्वतीय लोकविकास समिति का 20वां स्थापना दिवस धूमधाम से मनाया जाएगा। समारोह का उद्घाटन दीप प्रज्ज्वलित कर सुप्रसिद्ध,चिंतक, मीडिया, विशेषज्ञ और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के उत्तर क्षेत्र प्रचार प्रमुख श्री कृपा शंकर ने किया। समारोह की इस शुभारंभ बेला में आचार्य महावीर नैनवाल और डॉ.मनोज डिमरी ने वैदिक मंगलाचरण प्रस्तुत किया। कार्यक्रम में सर्वप्रथम राष्ट्रोक्ति द्वारा प्रकाशित कवि बीर सिंह राणा के गढ़वाली काव्य संग्रह "बौड़ि ऐजा" और शीर्ष प्रशासनिक अधिकारी श्री राजेंद्र प्रसाद द्वारा संकलित "अनमोल सूक्तियां" ग्रंथ का लोकार्पण किया गया। श्री कृपा शंकर ने समिति को दो दशक की सफल यात्रा पर बध...
कुमाउनी बैठकी होली: सखि ऐसो चटक रंग डालो…

कुमाउनी बैठकी होली: सखि ऐसो चटक रंग डालो…

दिल्ली-एनसीआर
उत्तराखंड की समृद्ध सांस्कृतिक परम्परा 'कुमाउनी बैठकी होली' का गाजियाबाद में आयोजन गाजियाबाद के शालीमार गार्डन, साहिबाबाद क्षेत्र में 'कुमाउनी बैठकी होली' का आयोजन हुआ जिसमें दिल्ली एनसीआर के विभिन्न होली गायक शामिल रहे। उत्तराखंड की प्रख्यात 'कुमाउनी बैठकी होली' के इस आयोजन में हारमोनियम पर संगतकर्ता निधि जोशी (लोधी रोड, दिल्ली), चन्द्र शेखर पाण्डेय (वसुंधरा, गाजियाबाद), चन्द्र शेखर जोशी (स्वरूप पार्क, साहिबाबाद), महेश जोशी (द्वारका, दिल्ली), राकेश जोशी (इन्द्रापूरम, गाजियाबाद) व तबले पर संगतकर्ता जीवन कलखुंड़िया (वैशाली, गाजियाबाद), चन्द्रेश पंत (क्रासिंग रिपब्लिक, गाजियाबाद), गिरिजा शंकर जोशी (सोनीपत, हरियाणा), भानू जोशी (नोएडा, उ.प्र.) युवा प्रतिभा रोहित (वसुंधरा, गाजियाबाद) तथा होली गायन के अन्य संगतकर्ता डी.डी. जोशी (वसुंधरा, गाजियाबाद), एल. आर. पंत (इन्द्रापूरम, गाजियाबाद), दीप पं...
अस्तित्व की व्याप्ति का उत्सव है होली

अस्तित्व की व्याप्ति का उत्सव है होली

लोक पर्व-त्योहार
होली पर विशेष प्रो. गिरीश्वर मिश्र  प्रकृति के सौंदर्य और शक्ति के साथ अपने हृदय की अनुभूति को बाँटना बसंत ऋतु का तक़ाज़ा है. मनुष्य भी चूँकि उसी प्रकृति की एक विशिष्ट कृति है इस कारण वह इस उल्लास से अछूता नहीं रह पाता. माघ महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को वसंत की आहट मिलती है. परम्परा में वसंत को कामदेव का पुत्र कहा गया है इसलिए उसके जन्म के साथ इच्छाओं और कामनाओं का संसार खिल उठता है. फागुन और चैत्त के महीने मिल कर वसंत ऋतु बनाते हैं. वसंत का वैभव पीली सरसों, नीले तीसी के फूल, आम में मंजरी के साथ, कोयल की कूक प्रकृति सुंदर चित्र की तरह सज उठती है. फागुन की बयार के साथ मन मचलने लगता है और उसका उत्कर्ष होली के उत्सव में प्रतिफलित होता है. होली का पर्व वस्तुतः जल, वायु, और वनस्पति से सजी संवरी नैसर्गिक प्रकृति के स्वभाव में उल्लास का आयोजन है. रंग, गुलाल और अबीर से एक दूसरे को...
होली के रंग…

होली के रंग…

कविताएं
होली पर की कल्याण सिंह चौहान दो कविताएं  1. होली के रंग रंग ले रंग ले, तन रंग ले, तन रंग ले, तु मन रंग ले, होली के रंग रंग ले।। रंग ले रंग ले.... रंग ले रंग ले, दुनिया के रंग ले रंग ले, रंग ले रंग ले, दुनिया अपने रंग रंग ले, रंग ले रंग ले, तु प्यार के रंग रंग ले।। रंग ले रंग ले.... रंग ले रंग ले, मैं मैं ना रहे, रंग ले रंग ले,  तू तू ना रहे, सच्चा रंग रंग ले, तू पक्का रंग रंग ले।। रंग ले रंग ले..... रंग ले रंग ले, तू कान्हा के रंग रंग ले, रंग ले रंग ले, तू श्यामा के रंग रंग ले, ऐसा रंग ले, कि रंग छूटे ना, होली के रंग रंग ले, रंग ले रंग ले.....।। ********************************** 2. होली है   ऐगी होली फागै की, भाईचारा प्यार की। छोली जाली मठ्ठा बल, छोली जाली मठ्ठा। पंचैती चौक, होली खेलणू, सरू गौं कठ्ठा। ऐगी होली फागै की, भाईचारा प्यार की।। होली है स रा रा रंग उडणू, ...
कोरोना की छाया में होली की आहट

कोरोना की छाया में होली की आहट

लोक पर्व-त्योहार
प्रो. गिरीश्वर मिश्र इस बार टंड और ठिठुरन का मौसम कुछ लंबा ही खिंच गया. पहाड़ों पर होती अच्छी बर्फवारी के चलते मैदानी इलाके की हवा रह-रह कर गलाने वाली होने लगी थी. बीच में कई दिन ऐसे भी आए जब सूर्यदेव भी कम दिखे और सिहरन कुछ ज्यादा बढ़ गई. पर ठिठुरन बाहर से अधिक अन्दर की भी थी. because सौ साल में कभी ऐसी उठापटक न हुई थी  जैसी करोना महामारी के चलते हुई, सब कुछ बेतरतीब और ठप सा होने लगा. एक लंबा खिचा दु : स्वप्न जीवन की सच्चाई बन रहा था. सांस लेने पर बंदिश और स्पर्श करने से संक्रमण के महाभय के  अज्ञात प्रसार की चिंता  से सभी विचलित  और  सकते में  आ चुके  थे. सभी तरह के भेदों  से ऊपर उठ कर संसार के अधिकाँश देश एक-एक कर कोरोना की चपेट में आते गए. इस यातना की महा गाथा में स्कूल, कालेज, आफिस, फैक्ट्री हर कहीं बाधा, व्यवधान और पीड़ा का विस्तार होता गया . करोना 'होली है भाई होली है' beca...