Tag: संगीत नाटक अकादमी

प्रेस क्लब ऑफ इंडिया : ‘उत्तराखंड उत्सव’ ने जमाई अंचल की लोक संस्कृति की धाक

प्रेस क्लब ऑफ इंडिया : ‘उत्तराखंड उत्सव’ ने जमाई अंचल की लोक संस्कृति की धाक

दिल्ली-एनसीआर
सी एम पपनै नई दिल्ली. प्रेस क्लब ऑफ इंडिया के तत्वाधान में 3 जनवरी को दिन में 4 बजे से रात्रि 8 बजे तक अमर सन्देश समाचार पत्र के सौजन्य से नववर्ष 2025 के आगमन पर पहली बार 'उत्तराखण्ड उत्सव' का भव्य, प्रभावशाली और यादगार आयोजन मुख्य अतिथि भगत सिंह कोश्यारी पूर्व राज्यपाल महाराष्ट्र व गोवा तथा पूर्व मुख्यमंत्री उत्तराखंड की प्रभावी उपस्थिति में आयोजित किया गया. प्रेस क्लब ऑफ इंडिया के इतिहास में पहली बार प्रेस क्लब प्रांगण में आयोजिक उत्तराखंड उत्सव के अंतर्गत उत्तराखंड कुमाऊं, गढ़वाल और जौनसार के स्वादिष्ट पकवान सम्मानित मीडिया कर्मियों को परोसने के साथ-साथ उत्तराखंड के लोकगीत, संगीत तथा नृत्यों का मंचन देश के प्रतिष्ठित मीडिया कर्मियों व उत्तराखंड के बड़ी संख्या में उपस्थित सम्मानित प्रबुद्ध जनों की उपस्थिति के मध्य प्रभावशाली अंदाज में मंचित किए गए. आयोजित उत्तराखंड उत्सव का श्रीगणेश...
उत्तराखंड की चार विभूतिया ‘अमृत अवार्ड-2022’ से सम्मानित

उत्तराखंड की चार विभूतिया ‘अमृत अवार्ड-2022’ से सम्मानित

दिल्ली-एनसीआर
सीएम पपनैं नई दिल्ली। आजादी के अमृत महोत्सव पर संगीत नाटक अकादमी भारत सरकार द्वारा घोषित 'अमृत अवार्ड- 2022' भारत के उप-राष्ट्रपति जगदीप धनखड के कर कमलो विभिन्न विधाओ के 75 वर्ष की आयु से ऊपर के 86 वृद्ध कलाकारों को केन्द्रीय कानून और न्याय (स्वतंत्र प्रभार) तथा संस्कृति एवं संसदीय कार्य राज्यमंत्री अर्जुन राम मेघवाल, केन्द्रीय संस्कृति एवं पर्यटन राज्यमंत्री मीनाक्षी लेखी  तथा अध्यक्ष संगीत नाटक अकादमी डाॅ संध्या पुरेचा की गरिमामयी उपस्थिति में शनिवार 16 सितंबर को प्लेनरी हाल विज्ञान भवन में भव्य आयोजन आयोजित कर प्रदान किए गए। उत्तराखंड की चार विभूतियां भी उक्त 'अमृत अवार्ड- 2022' से सम्मानित हुई हैं। आयोजन के इस अवसर पर संगीत नाटक अकादमी अध्यक्षा डाॅ संध्या पुरेचा द्वारा मुख्य अतिथि देश के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड व संस्कृति विभाग से जुडे केन्द्रीय राज्य मंत्रियों व सम्मानित किए जा रह...
पैठणी साड़ियों के लिए प्रसिद्ध है औरंगाबाद का पैठण

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ट्रैवलॉग
पोथी सागणें… मंजू दिल से… भाग-14 मंजू काला मनुष्य से आज के सुसंस्कृत मनुष्य तक की यात्रा के साथ चित्र परंपराओं की एक यात्रा समानांतर रूप से चलती है. इस समानांतर यात्रा में मानव विकास के विविध सोपानों को पढ़ा जा सकता है. because इसमें मानव मन की क्रमिक गूँज-अनुगूँज को भी सुना जा सकता है क्योंकि चित्रों में मनुष्य की तीन मूल इच्छाएँ-  सिसृक्षा, रिरंसा एवं युयुत्सा भी परिलक्षित होती हैं. मनुष्य लिखित भाषा जब अस्तित्व में नहीं आई थी, मनुष्य ने चित्रों के माध्यम से मनोभावों को अभिव्यक्त किया. भारत के उत्तर से लेकर दक्षिण और पूर्व से लेकर पश्चिम तक अनेक चित्रशैलियों के because प्रमाण मिलते हैं. कुछ शैलियों ने जनजातीय-अंचलों में अपने मूल रूप को काफी हद तक अछूता रखा है, जैसे, गुजरात के राठवाओं में “पिथोरो”, उड़ीसा की साओरा जनजाति में “इटेलान” लोककला. मनुष्य ठाणे (महाराष्ट्र) (Thane...