जब एक रानी ने अपने सतीत्व की रक्षा के लिए धर लिया था शिला रूप!
देश ही नहीं विदेशों में भी धमाल मचा रही है रंगीली पिछौड़ी...
आशिता डोभाल
उत्तराखंड में दोनों मंडल गढ़वाल so और कुमाऊं अपनी—अपनी संस्कृति के लिए जाने जाते हैं. हम जब बात करते हैं अपने पारंपरिक परिधानों की तो हर जिले और हर विकासखंड का या यूं कहें कि हर एक क्षेत्र में थोड़ा भिन्नता मिलेगी पर कहीं न कहीं कुछ चीजें ऐसी भी हैं, जो एक समान होती हैं. जैसे— कुमाऊं की 'रंगीली पिछौड़ी' है, जो पूरे कुमाऊं मंडल का एक विशेष तरह का परिधान है, अंगवस्त्र है, इज्जत है और इसे पवित्र परिधान की संज्ञा Because भी दी जाए तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी. इस परिधान का इतिहास बेहद रूचिपूर्ण है. राजे—रजवाड़े और सम्पन्न घरानों से पैदा हुआ ये परिधान स्वयं घरों में तैयार किया जाता था, बल्कि मंजू जी से प्राप्त जानकारी के अनुसार कुमाऊं की रानी 'जियारानी' से इसका इतिहास जुड़ा हुआ बताती हैं.
परिधान
एक दिन जैसे...