Tag: मातृभाषा

नरेन्द्र सिंह नेगी को उनके 75वें जन्म दिवस पर मुख्यमंत्री ने दी शुभकामनाएं

नरेन्द्र सिंह नेगी को उनके 75वें जन्म दिवस पर मुख्यमंत्री ने दी शुभकामनाएं

देहरादून
मातृभाषा में 13वीं शताब्दी से लेकर 1962 तक के वीर भड़ों और सेना के जवानों सहित 12 लोकनायकों के दस्तावेज हैं पुस्तक में सामिल देहरादून. मुख्यमंत्री कैम्प कार्यालय स्थित सभागार में प्रसिद्ध लोक गायक श्री नरेन्द्र सिंह नेगी के 75वें जन्म दिवस के अवसर पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उनका सम्मान कर शुभकामनाएं दी. इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने हमारा लोकनायक पुस्तक का विमोचन भी किया. पुस्तक में मातृभाषा में 13वीं शताब्दी से लेकर 1962 तक के वीर भड़ों और सेना के जवानों सहित 12 लोकनायकों के दस्तावेज सामिल हैं. मुख्यमंत्री ने श्री नरेन्द्र सिंह नेगी को विश्व को अलोकित करने वाली पहाड़ की आवाज बताते हुये उनके दीर्घायु की कामना की. उन्होंने कहा कि हमारी देवभूमि वीर भूमि भी है. हमारा इतिहास वीरों की वीरता से भरा है. हमारे वीरों की वीरता का वर्णन लिखित रूप में कम तथा श्रुति परम्परा में ज्यादा रहा है. हमारा ...
मातृभाषा का सवाल भाषा से ज्यादा लिपि और माध्यम का सवाल है

मातृभाषा का सवाल भाषा से ज्यादा लिपि और माध्यम का सवाल है

दिल्ली-एनसीआर
मेहर, निशा, आकांक्षा एवं राज, नई दिल्ली अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के उपलक्ष्य पर रामजस महाविद्यालय, एक सप्ताह का 'मातृभाषा अमृतोत्सव' आयोजित करने जा रहा है. 21 फरवरी, 2023 से 28 फरवरी तक चलने वाले इस मातृभाषा अमृतोत्सव में भारत की सभी भाषाओं पर भाषाविदों के साथ मातृभाषा में शिक्षा एवं शिक्षण की चुनौतियों और संभावनाओं पर विचार विमर्श होगा.  इस वैचारिक मंथन का शुभारंभ अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस यानि 21 फरवरी को रामजस महाविद्यालय के सभागार में हुआ. रामजस कॉलेज के सभागार में आयोजित इस संगोष्ठी की अध्यक्षता रामजस महाविद्यालय के हिंदी विभाग के वरिष्ठ प्राध्यापक डॉ. प्रीतम शर्मा ने की और वक्ता के रूप में डॉ. राकेश सिंह (पूर्व सलाहकार, भारतीय भाषा समिति) एवं प्रो. चौडुरी उपेंद्र राव (पूर्व अध्यक्ष, संस्कृत एवं प्राच्यविद्या अध्ययन केंद्र, जेएनयू) ने अपने विचार रखे. कार्यक्रम का आरम्भ ...
सामर्थ्य के विमर्श में मातृभाषा का स्थान 

सामर्थ्य के विमर्श में मातृभाषा का स्थान 

साहित्‍य-संस्कृति
प्रो. गिरीश्वर मिश्र  मनुष्य इस अर्थ में भाषाजीवी कहा जा सकता है कि उसका सारा जीवन व्यापार भाषा के माध्यम से ही होता है. उसका मानस भाषा में ही बसता है और उसी से रचा जाता है. because दुनिया के साथ हमारा रिश्ता भाषा की मध्यस्थता के बिना अकल्पनीय है. इसलिए भाषा सामाजिक सशक्तीकरण के विमर्श में प्रमुख किरदार है फिर भी अक्सर उसकी भूमिका की अनदेखी की जाती है. भारत के राजनैतिक-सामाजिक जीवन में ग़रीबों, किसानों, महिलाओं, जनजातियों यानि हाशिए के लोगों को सशक्त बनाने के उपाय को हर सरकार की विषय सूची में दुहराया जाता रहा है. पढ़ें- अंतर्मन की शांति है प्रसन्नता की कुंजी ज्योतिष वर्तमान सरकार पूरे देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए कृतसंकल्प है. आत्म-निर्भरता के लिए ज़रूरी है कि अपने स्रोतों और संसाधनों का उपयोग को पर्याप्त बनाया जाए ताकि कभी दूसरों का मुँह न जोहना पड़े. इस दृष्टि से ‘स्वदेशी’ का नार...
लंबे समय से हावी औपनिवेशिक स्वरूप से दिलाएगी मुक्ति : नई शिक्षा नीति-2020

लंबे समय से हावी औपनिवेशिक स्वरूप से दिलाएगी मुक्ति : नई शिक्षा नीति-2020

शिक्षा
राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 भाग-5 डॉ गीता भट्ट  मातृभाषा से शिक्षा देने के महत्व को महात्मा गांधी ने इस प्रकार व्यक्त किया है “मां के दूध के साथ जो संस्कार और मीठे शब्द मिलते हैं, उनके और पाठशाला के बीच जो मेल होना चाहिये, वह विदेशी भाषा के माध्यम से शिक्षा देने से टूट जाता है. इस संबंध को तोड़ने वालों का उद्देश्य पवित्र ही क्यों न हो, फिर भी वे जनता के दुश्मन हैं.” आज अगर गांधी होते, तो राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की समग्रता और राष्टीय चेतना से संचित रूपरेखा देख अत्यंत संतुष्ट होते. 34 वर्षों के उपरांत एक नीति जो रचनांतर होने के साथ-साथ शैक्षणिक मापदंडों में एक नयी सोच को लायी है और आने वाले समय में शिक्षा पर लंबे समय से हावी औपनिवेशिक स्वरूप को मूलतः भारतीय करने में मील का पत्थर साबित होगी. शिक्षा नीति पर विमर्श और प्रतिपुष्टि की प्रक्रिया लंबे समय से चल रही थी. शिक्षा मंत्री रमेश...