Tag: भारतीय साहित्य

दून पुस्तकालय में ओडिया भाषा और लघु कथाएं विषय पर प्रस्तुति

दून पुस्तकालय में ओडिया भाषा और लघु कथाएं विषय पर प्रस्तुति

देहरादून
हिमांतर ब्यूरो, देहरादून दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र की ओर से आज सांय उड़िया भाषा और उसके साहित्य विषय पर एक सत्र केंद्र के सभागार में आयोजित किया. इसका प्रारूप अम्मार नकवी द्वारा दृश्य-श्रव्य माध्यम से किया गया. भारतीय साहित्य की समृद्ध परंपरा को समझने और सराहने की श्रृंखला का यह सातवाँ सत्र था. सत्र की शुरुआत उड़ीसा के भौगोलिक और सांस्कृतिक क्षेत्र के परिचय और सामान्य रूप से धारणा के साथ हुई. बाद में धीरे-धीरे यह मगधी प्राकृत और गीत गोविंदा जैसे मध्ययुगीन ग्रंथों में इसके मूल और इसके विकास में गजपति साम्राज्य जैसी ऐतिहासिक साम्राज्यों की भूमिकाओं की ओर बढ़ गया. इसके बाद भाषा की संरचना पर ध्यान केंद्रित किया गया,जो कि बांग्ला और तेलुगु की तुलना में प्रभावशाली भाषाओं के रूप में है. अम्मार नक़वी ने ओडिया की उत्पत्ति सामान्य कुटिला/सिद्धम लिपि से कैसे हुई और कैसे इसकी शाखाएँ फैलीं, इसकि ...
ऑक्सफोर्ड, हिन्दी और इमरै बंघा

ऑक्सफोर्ड, हिन्दी और इमरै बंघा

संस्मरण
बुदापैश्त डायरी-13 डॉ. विजया सती बुदापैश्त में हिन्दी पढ़ने वाले विद्यार्थियों का because अध्ययन ब्रजभाषा काव्य पढ़े बिना पूरा नहीं होता और इस भाषा के विशेषज्ञ के रूप में वहां निमंत्रित होते हैं डॉ इमरै बंघा. बुदापैश्त डॉ बंघा बुदापैश्त में इंडोलोजी के छात्र रहे but और विश्वभारती, शान्तिनिकेतन में शोधार्थी. वर्तमान में वे ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के ओरिएंटल इन्सटीट्यूट में एसोसिएट प्रोफ़ेसर हैं, जहां वे हिन्दी, उर्दू और बँगला पाठ पढ़ाते हैं. बुदापैश्त भारतीय साहित्य पर कई पुस्तकों और आलेखों के रचयिता डॉ बंघा का लेखन अंग्रेजी, हिंदी और हंगेरियन में प्रकाशित है. उनका मुख्य काम ब्रजभाषा पर है – ‘सनेह को मारग - so आनंदघन का जीवन वृत्त’ – उनकी इस पुस्तक का प्रकाशन भारत में हुआ. बुदापैश्त हिन्दी की मध्यकालीन कविता, because विशेष रूप से तुलसीदास में अभिरुचि रखने वाले डॉ इमरै बं...