देहरादून से “द्वारा” गांव वाया मालदेवता…
लघु यात्रा संस्मरण
सुनीता भट्ट पैन्यूली
Treasure of thoughts are with us. They only have to be discovered....
मेरे अन्दर पेड़ नदी,पहाड़, झरने,जंगली फूलों से सराबोर प्रकृति के विभिन्न आयामों की सुंदर व अथाह प्रदर्शनी सजी हुई है किंतु फिर भी मेरा मन नहीं भरता है और मैं शरणोन्मुख because हो जाती हूं नदियों, पहाड़ों और सघन जंगलों से बात करने की तृषा-तोष हेतु.
ज्योतिष
स्मृतियों और अनूभूतियों के चिंतन का so कारवां चलता रहता है मेरी यात्राओं में मेरे साथ-साथ जिससे सृजन के वेग को मेरी कलम की हौसला-अफ़जाई द्वारा एक बल मिलता है.
मेरे यात्रा अनुभव,मेरे संस्मरण और मेरे मोबाइल के कैमरे की जुगलबंदी कुछ इस तरह हो जाती है कि, या सीधा-साफ कहूं मेरे अनुभव और मेरे मोबाइल के बीच अच्छी बनने लगी है because जिससे मेरी लघु- या चिर यात्राओं के गंतव्य की भौगोलिक-स्थिती वहां का खान-पान,वहां की वनस्पति...