संस्मरण बंजर होते खेतों के बीच ईजा का दुःख मेरे हिस्से और पहाड़ के किस्से भाग—9 प्रकाश उप्रेती हमारे खेतों के भी अलग-अलग नाम होते हैं. ‘खेतों’ को हम ‘पटौ’ और ‘हल चलाने’ को ‘हौ बहाना’ कहते हैं. हमारे लिए पटौपन हौ बहाना ही कृषि या खेती करना था. कृषि भी क्या बस खेत बंजर न हो इसी में लगे रहते
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