Tag: बीजेपी

बागेश्वर उपचुनाव : 7 राउंड की काउंटिंग पूरी, BJP को 1542 वोटों की बढ़त

बागेश्वर उपचुनाव : 7 राउंड की काउंटिंग पूरी, BJP को 1542 वोटों की बढ़त

बागेश्‍वर
बागेश्वर: बागेश्वर उपचुनाव के लिए वोटों की गिनती जारी है। मतगणना के दौरान जहां कांग्रेस प्रत्याशी बसंत कुमार ने शुरूआत बढ़ती बनाई। वहीं, अब भाजपा प्रत्याशी पार्वती दास को 1500 से अधिक वोटों की बढ़त मिल चुकी है। अब देखना होगा कि कांग्रेस वापसी कर पाती है या फिर भाजपा की यह बढ़त और बढ़कर उसे जीत की दहलीज तक ले जाती है। पहला चरण  बीजेपी       पार्वती दास             2191 कांग्रेस       बसंत कुमार          2945 यूकेडी         अर्जुन देव              52 एसपी          भगवत प्रसाद        27 यूपीपी         भागवत कोहली    10 दूसरा चरण  बीजेपी       पार्वती दास             4359 कांग्रेस       बसंत कुमार          4554 यूकेडी         अर्जुन देव                106 एसपी          भगवत प्रसाद           72 यूपीपी         भागवत कोहली       28 नोटा                                          155 तीसरा...
राजनैतिक पाठ में काश और कसक के बीच

राजनैतिक पाठ में काश और कसक के बीच

पुस्तक-समीक्षा
प्रकाश उप्रेती बहुत दिनों से लंबित 'विजय त्रिवेदी' becauseकी किताब 'बीजेपी कल, आज और कल' को आखिर पढ़ लिया. इधर के दो दिन किताब को पचाने में लगे और अब उगल रहा हूँ. बीजेपी दस अध्यायों में विभाजित यह किताब ''1 मार्च 2019. रात के 9 बजकर 20 मिनट. अटारी-वाघा-बॉर्डर भारत-पाकिस्तान की सीमा पर बने इस बॉर्डर पर हजारों लोगों का जोश but और 'भारत माता की जय' के नारे गूँज रहे थे. शाम को हुई बारिश ने भले ही ठंडक बढ़ा दी थी, लेकिन माहौल में गजब की गर्माहट थी. 'विंग कमांडर अभिनंदन वर्तमान' की पाकिस्तान से वापसी की खबर का पूरा देश इंतजार कर रहा था." दृश्य से आरंभ होती है. इसके बाद किताब बीजेपी के भूत, वर्तमान और भविष्य का विश्लेषण करते हुए उसके इर्दगिर्द की राजनीति पर टीका करती हुई आगे बढ़ती है. इस दृश्य में वह सब कुछ जो राजनीति का वर्तमान है. विजय त्रिवेदी ने किताब में अपनी बातों को पुष्ट करन...
राजनीति में अदला बदली

राजनीति में अदला बदली

समसामयिक
भाग—2 डॉ. रुद्रेश नारायण मिश्र  राजनीति में परिवर्तन आंतरिक अंतर्विरोध के कारण भी होता है. यह अंतर्विरोध पार्टी विशेष कम होकर व्यक्तिगत रूप में ज्यादा दिखता है, जब एक प्रभावशाली नेता अपनी ही पार्टी से संबंध विच्छेद कर दूसरी पार्टी में शामिल हो जाता है. उस वक्त नेता के समर्थक जितने भी सांसद/विधायक होते हैं, वह भी विरोधी हो जाते हैं. ऐसे में राजनीति की परिवर्तनशील प्रक्रिया चरित्रहीन हो जाता है. जिससे स्थिति अस्थिर हो जाती है और यह अस्थिरता राजनीति के उन सवालों को खड़ा करता है, जिसे देखने की कोशिश कभी संवैधानिक रूप में हुई ही नहीं. इसके कई उदाहरण अलग-अलग राज्यों के राजनीतिक उतार-चढ़ाव में मिल जाता है. इसलिए जिस राजनीति में आत्ममंथन की जरूरत है, कारणों की समीक्षा की जरूरत है, वहां सिर्फ राजनीतिक आलोचनाओं के अलावा कुछ नहीं है. आरोप-प्रत्यारोप के बीच राजनीतिक नैतिकता खत्म होती नजर ...