बारहमासा : विरह और मिलन की क्रियाओं का चित्रण!
मंजू दिल से… भाग-29 मंजू काला फ़ागुन महीना… फूली सरसों… आम झरे.. अमराई…. मै अंगना में चूप- चूप देखूँ ऋतु बसंत की आई…..!!!!! ऋतु …बसन्त की आई! फ़ागुन का महीना… सरकती ठंड की फुरफुरी, गुन- गुन-गुनाता मौसम, सप्तपदी के फेरों सीं “दें” लगाती ऋतुएँ औऱ वनों के बीच बुराँश कचनार- आह टेशू भी फूल […]
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