Tag: प्राकृतिक संसाधन

हाईकमान और आलाकमान की राजनीति में ‘कमानविहीन’ हुआ उत्तराखंड

हाईकमान और आलाकमान की राजनीति में ‘कमानविहीन’ हुआ उत्तराखंड

समसामयिक
प्रकाश उप्रेती उत्तराखंड के पहाड़ी इलाके पिछले कुछ दिनों से भयंकर ठंड से ठिठुर रहे हैं वहीं चुनावी तापमान ने देहरादून को गर्म कर रखा है. देहरादून की चुनावी तपिश से पहाड़ के इलाके बहुत प्रभावित तो नहीं होते लेकिन दुर्भाग्य because यह है कि उनके भविष्य का फैसला भी इसी तपिश से होता है. इसलिए ही जब उत्तराखंड के लोग गैरसैंण राजधानी की माँग करते हैं तो उसके पीछे पर्वतीय प्रदेश की संरचना और जरूरतें हैं क्योंकि देहरादून की नज़र तो दिल्ली की तरफ और पीठ पहाड़ की तरफ होती है. दिल्ली ही देहरादून को चलाती है. इसलिए उत्तराखंड के पहाड़ी इलाके अलग उत्तराखंड राज्य के 21 वर्ष पूरे हो जाने के बाद भी स्वास्थ्य, शिक्षा, चिकित्सा, सड़क, जमीन, रोजगार, कृषि, जलसंकट और पलायन जैसी समस्याओं से जूझ रहे हैं. ज्योतिष उत्तराखंड को बने 21 वर्ष हो गए हैं. इन 21 वर्षों में 11 मुख्यमंत्रियों के साथ बीजेपी- कांग्रेस की सरका...
कोरोना काल में बदलती उत्तराखण्ड के गाँवों की सामाजिक-सांस्कृतिक तस्वीर

कोरोना काल में बदलती उत्तराखण्ड के गाँवों की सामाजिक-सांस्कृतिक तस्वीर

समसामयिक
डॉ अमिता प्रकाश बड़ा अजीब संकट है. अपनी भौतिक व आध्यात्मिक उन्नति के तमाम दावों के बावजूद मानव जितना असहाय आज दिख रहा है उतना पहले कभी नहीं दिखा. एक अतिसूक्ष्म जीव जिसे न सजीव कहा जा सकता है न निर्जीव, ने ईश्वर की स्वघोषित सर्वश्रेष्ठ कृति को आईना दिखाने का काम कर दिया है. यह संकट जिसे समझना वैश्विक समुदाय के लिए टेड़ी खीर होता जा रहा है,  ने मानव समुदाय में ही नहीं प्रकृति के प्रत्येक घटक में एक बड़ा परिवर्तन ला दिया है. हम जानते हैं कि परिवर्तन कभी भी एक आयामी नहीं होता,  इसके कई पहलू होते हैं. कुछ लोग जिन्हें सरकार से किसी प्रकार की उम्मीद नहीं है, वे अपने बंजर खेतों में सब्जी बो कर या अपनी टूटी गोशालाओं के पत्थर आदि ढूंढने लगे हैं इस उम्मीद से कि भविष्य में संभवतः यही उनके अर्थोपार्जन का सहारा बनेंगें. अस्तु यहाँ पर मनुष्य समाज में, और वह भी विशेषकर उत्तराखण्ड के गाँवों के ...