हीर की फुलकारी…
‘फुलकारी पुलाव’ पंजाब की लुप्त होती जा रही एक रेसीपी है…
मंजू दिल से… भाग-3
मंजू काला
सोहने फुल्लां विच्चों फुल गुलाब नी सखि
सोहणे देशां विच्चों देश पंजाब नी सखियों
बगदी रावी ते झेलम चनाय नी सखियों
देंदा भुख्या ने रोटी पंजाब दी सखियों...
पंजाब यानी जिसके ह्रदय स्थल पर पांच नदियां- झेलम, चिनाब, रावी, सतलुज, व्यास नामक जलधाराऐं अठखेलियां करती हैं. इस प्रदेश के बारे में दावा किया जाता है कि यही वो धरती है because जहाँ वोल्गा से विहार करती हुई आर्य सभ्यता ने सिंधु नदी के तट को अपना आशियाना बनाया.
प्यारे
पंजाब की माटी का परिचय उसकी जीवन को स्फूर्ति और गति देने वाली सभ्यता में छिपा है. सरिताओं के स्वच्छ जल से सिंचित लहलहाते अन्न की बालियों से हरे-भरे खेत, गिद्दा और भांगड़ा so की ताल पर थिरकते “मुटियार” और लहलहाती फसलें, दूध और दही की नदियों के साथ फिजाओं में तैरती “बुल्ले शाह...