नीलम पांडेय “नील” तब भी आसपास जंगली कविताएं और चित्त उदगार करने वाले मौसम अपनी दस्तक देना शुरु कर देते थे. तब भी मैं प्रकृति को महसूस करना चाहती थी शायद. पर प्रकृति ही एक जादू कर देती और मैं कहीं दूर विचरण के लिए निकल पड़़ती. ये बहती हवा, ये पेड़, आकाश, मिट्टी और […]
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