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राजनीति में लोकतांत्रिक संस्कार की जरूरत

राजनीति में लोकतांत्रिक संस्कार की जरूरत

समसामयिक
गिरीश्वर  मिश्र राजनीति सामाजिक जीवन की व्यवस्था चलाने की एक जरूरी आवश्यकता है जो स्वभाव से ही व्यक्ति  से मुक्त हो कर लोक की ओर उन्मुख होती है. because दूसरे शब्दों में वह सबके लिए साध्य न हो कर उन बिरलों के लिए ही होती है जो निजी सुख को छोड़ कर लोक कल्याण के प्रति समर्पित होते हैं. स्वतंत्रता संग्राम के दौर में राजनीति में जाना सुख की लालसा से नहीं बल्कि अनिश्चय और जोखिम के साथ देश की सेवा की राह चुनना था. स्वतंत्रता मिलने के बाद धीरे-धीरे राजनीति की पुरानी स्मृति धुंधली पड़ने लगी और नए अर्थ खुलने लगे जिसमें देश. लोक और समाज हाशिए पर जाने लगे और अपना निजी हित प्रमुख होने लगा. यह प्रवृत्ति हर अगले चुनाव में बलवती होती गई और अब सत्ता, अधिकार और अपने लिए धन संपत्ति का अम्बार लगाना ही राजनीति का प्रयोजन होने लगा है. विचारधारा राजनैतिक विचारधारा because और आदर्श तो अब पुरानी या दकियानूसी...