Tag: चारधाम

गणतंत्र दिवस की परेड में इस बार रहेगी ‘देवभूमि उत्तराखंड’ की धूम

गणतंत्र दिवस की परेड में इस बार रहेगी ‘देवभूमि उत्तराखंड’ की धूम

देश—विदेश
हिमांतर ब्यूरो, नई दिल्ली रक्षा मंत्रालय द्वारा राष्ट्रीय रंगशाला शिविर, नई दिल्ली में गणतंत्र दिवस परेड में शामिल होने की तैयारियों के अवसर पर विभिन्न प्रदेशों एवं मंत्रालयों की झांकी के माध्यम से कलाकारों अपने-अपने राज्यों की सांस्कृतिक झलक पेश की. उत्तराखण्ड राज्य के कलाकारों द्वारा उत्तराखण्ड की पांरपरिक वेशभूषा में राष्ट्रीय रंगशाला में आकर्षक सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया गया, जिसे उपस्थित लोगों द्वारा बहुत पसंद किया गया, साथ ही इन 12 राज्यों के कलाकारों द्वारा भी अपने-अपने प्रदेश की झांकी के साथ पांरपरिक वेशभूषा में प्रस्तुति दी गई। गणतंत्र दिवस समोराह में इस वर्ष 12 राज्यों की झांकी सम्मिलित की गई है। उल्लेखनीय है कि गणतंत्र दिवस परेड के लिए उत्तराखंड की झांकी में सूचना विभाग के संयुक्त निदेशक एवं नोडल अधिकारी के.एस.चौहान के नेतृत्व में उत्तराखंड राज्य से 16 कलाकार ग...
विलुप्ति के कगार पर पारंपरिक व्‍यंजन अरसे की मिठास

विलुप्ति के कगार पर पारंपरिक व्‍यंजन अरसे की मिठास

साहित्‍य-संस्कृति
आशिता डोभाल अरसे/अरसा पहाड़ में समूण या कलेउ becauseके रूप मे दिया जाने वाला एक पकवान है, जो उत्तराखण्ड में सिर्फ गढ़वाल मण्डल में प्रमुखता से बनता है बल्कि हमसे लगे कुमाऊं, जौनसार—बावर, बंगाण, हिमाचल प्रदेश, नेपाल, तिब्बत कहीं भी अरसा नही बनता है. इसके इतिहास की बात करें तो बहुत ही रूचिपूर्ण इतिहास रहा है अरसे का. बताते हैं कि यह दक्षिण भारत से आया हुआ पकवान है. इतिहासकारो के अनुसार आदिगुरू शंकराचार्य ने जब बद्रीनाथ और केदारनाथ में कर्नाटक के पुजारियों को नियुक्त किया था, तो नवीं सदी में वहां से आए हुए ये ब्राहमण अपने साथ अरसा so यहां लेकर आए और साथ ही बनाने की परम्परा भी शुरू कर गये. कालांतर में ये परम्परा गढ़वाल के आमजन में भी शुरू हो गई. अरसा तमिलनाड, केरल, आंध्र प्रदेश, उडीसा, बिहार और बंगाल में भी बनाया जाता है, वहां इसको अलग-अलग जगह अलग-अलग नामों से जाना जाता है. अटल आंध्र प...