चन्द्रसिंह ‘गढ़वाली’ जब नाटक में देवता के रूप में अवतरित हुए
पेशावर विद्रोह दिवस पर यात्रा-संस्मरण
डॉ. अरुण कुकसाल
...कैन्यूर बैंड से 20 किमी. चलकर हम पीठसैण पहुंचे हैं. पीठसैण (समुद्रतल से 2250 मीटर ऊंचाई) एक ऊंची धार पर एकदम पसरा है, ग्वाले की तरह. जैसे कोई ग्वाला ऊंचे टीले पर अधलेटा आराम फरमाते हुए नीचे घाटी में चरते अपने जानवरों पर भी नजर रख रहा हो.
‘पहाड़ी भाषा में ‘सैण’ का मतलब ‘मैदान’ होता है और ‘सैण’ में 'ई' की मात्रा लगा दो तो पहाड़ी में ‘सैणी’ ‘महिला’ को कहते हैं’. अब तक बिल्कुल चुप रहने वाले अजय ने अपनी चुप्पी इस ज्ञानी बात को कहकर तोड़ी है. सपकपाया अजय अपनी सफाई में कहता है कि 'पीठसैण नाम पर उसे यह याद आया'. अजय की इस बात पर केवल मुस्कराया ही जा सकता है.
पीठसैण की वर्तमान पहचान उत्तराखण्ड के जननायक स्वर्गीय वीर चंन्द्रसिंह ‘गढ़वाली’ जी से है. (ज्ञातव्य है कि चन्द्रसिंह ‘गढ़वाली’, सेना में 2/18 रायल गढ़वाल में हवलदार थे और 23 अप्रैल, 1930...