गधेरों से उठता सिर्फ धुआँ…
प्रकाश उप्रेती
पहाड़ के गाँव महामारी के कई रूपों से लड़ रहे हैं. स्वास्थ्य व्यवस्थाओं का आलम सरकार दर सरकार दर जर्ज़र होता गया. तहसील और जिले के अस्पतालों में डॉ. के नाम रेफर बाबू हैं और दवा के नाम पर कैल्शियम की गोलियां. अखबारों में अस्पताल के अभाव में दम तोड़ते लोग, प्रसव पीड़ा में रास्ते में ही बच्चे को जन्म देती because माताओं की तस्वीरें छपती रही हैं लेकिन हमारे हुक्मरानों को इससे कोई फर्क नहीं पड़ा. विधायक से लेकर सांसद तक दून और दिल्ली में मौज करते रहे . हमारे इलाके के सांसद महोदय को लोग पहचानते भी नहीं है. वह भी इलाके को नहीं पहचानते हैं .
सूर्य देव
पिछले साल मेरी ईजा पर सुअर ने हमला कर दिया था. उनके इलाज के लिए मैं भिकियासैंण, चखुटिया और रानीखेत के सरकारी अस्पतालों में गया और वहाँ जो स्थिति देखी वह भयावह थी. उसके बाद कई तहसीलों में जाकर अस्पतालों पर लिखा भी लेकिन उससे किसक...