![प्रदूषित गंगा और हम!](https://www.himantar.com/wp-content/uploads/2020/09/Kamlesh-on-ganga.jpg)
प्रदूषित गंगा और हम!
कमलेश चंद्र जोशी
कहते हैं प्रकृति हर चीज का संतुलन बनाकर रखती है. लेकिन अधिकतर देखने में यह आया है कि जहां-जहां मनुष्य ने अपना हाथ डाला वहां-वहां असंतुलन या फिर समस्याएं पैदा हुई हैं. इन समस्याओं का सीधा संबंध मनुष्य की आस्था, श्रद्धा, स्वार्थ या तथाकथित प्रेम से रहा है. गंगा को हमने मॉं कहा और गंगा के प्रति हमारे प्रेम ने उसको उस मुहाने पर लाकर छोड़ दिया जहां उसकी सफ़ाई को लेकर हर दिन हो-हल्ला होता है लेकिन न तो हमारे कानों में जूं रेंगती है और न ही सरकार के. गंगा को हमने उसके प्राकृतिक स्वरूप में प्रकृति की गोद में बहने के लिए छोड़ दिया होता और उसके पानी का इस्तेमाल सिर्फ अपनी जरूरतों की पूर्ति के लिए किया होता तो आज गंगा इस दशा में न होती कि उसकी सफाई के लिए प्रोजेक्ट चलाने पड़ते. ये सिर्फ इसलिए हुआ क्योंकि गंगा को हमने अपनी अंधी आस्था और स्वार्थसिद्धी का विषय बनाकर उसका दोहन करन...