कालसी गेट की रामलीला और मैं…
स्मृतियों के उस पार सुनीता भट्ट पैन्यूली अक्टूबर यानी पत्तियां रंग बदल रही हैं, पौधे ज़मीन पर बदरंग होकर स्वत:स्फूर्त बीज फेंक रहे हैं ज़मीन पर, जानवर सर्दियों से बचाव की तैयारी में चिंतन में आकंठ डूबे हुए हैं. यानी पूरी प्रकृति एक बदलाव की प्रक्रिया की ओर अग्रसर है. अक्तूबर आ गया है सुबह […]
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